परमानेंट करने की मांग को लेकर नएडहॉक शिक्षकों का प्रदर्शन
लखनऊ, लखनऊ के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में सोमवार को तदर्थ शिक्षकों के दो गुटों का प्रदर्शन देखने को मिला। उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के बैनर तले बड़ी संख्या में पहुंचे तदर्थ प्रधानाचार्य ने धरना शुरू किया। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे इन प्रधानाचार्य ने कहा कि सालों से वे सभी माध्यमिक शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब तक उन्हें परमानेंट नहीं किया गया। यही कारण है कि आज आर-पार की लड़ाई के लिए उन्हें सड़क पर उतरना पड़ रहा है।
इसी परिसर में प्रधानाचार्यों के प्रदर्शन के ठीक सामने तदर्थ शिक्षकों का भी प्रदर्शन लगातार 13वें दिन भी जारी रहा। ये तदर्थ शिक्षक याचना कार्यक्रम के तहत सरकार से वेतन बहाली की मांग कर रहे हैं। साथ ही उन्हें परमानेंट किए जाने की भी मांग है। उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह कहते हैं कि 14 सूत्रीय मांगों को लेकर आज प्रदेश भर के तदर्थ प्रधानाचार्य लखनऊ पहुंचे हैं। इससे पहले 23 तारीख को हमने यूपी के सभी जिलों में प्रदर्शन किया था। मांगों को लेकर कई बार सरकार और शासन स्तर पर वार्ता भी हुई। सहमति बनी लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यही कारण है कि मजबूर होकर आज हम सभी लोगों को लखनऊ में यह बड़ा प्रदर्शन करना पड़ा रहा है।
साल 1993 के बाद तदर्थ में तैनात सभी प्रधानाचार्य को नियमित किया जाए। महंगाई काफी बढ़ चुकी है इसलिए अब शुल्कों का निर्धारण कर फिर से किया जाना चाहिए। केंद्र की तरह प्रदेश में सभी शिक्षकों, प्रधानाचार्य को चिकित्सा भत्ता दिया जाए। रिटायर्ड शिक्षकों और प्रधानाचार्य को निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की जाए। अनएडेड स्कूलों को अनुदान सूची में लाने के लिए नियम बनाया जाएं। सभी शिक्षकों प्रधानाचार्य और स्टाफ को एडिट स्कूलों की तरह वेतन दिया जाए। स्कूलों को निशुल्क विद्युत कनेक्शन अथवा नॉमिनल रेट में विद्युत कनेक्शन कराया जाए। 2005 से नियुक्त सभी शिक्षकों कर्मचारियों और प्रधानाचार्य को पुरानी पेंशन योजना लागू हो। कक्षा 9 और 11 के पंजीकरण शुल्क का 50 फीसदी की धनराशि विद्यालयों को दी जाए। तदर्थ शिक्षक आंदोलन समिति के संयोजक राजमणि सिंह ने कहा कि हमने पहले भी 53 दिनों तक याचना कार्यक्रम चलाकर सरकार से गुहार लगाई पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
सरकार अभी भी इन शिक्षकों का वेतन बहाली नहीं कर रही हैं। न ही सेवा सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम उठा रही है। ऐसे में तदर्थ शिक्षकों के पास लड़ाई लड़ने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचा है। राजमणि सिंह ने कहा कि सरकार ने 9 नवंबर 2023 को जो शासनादेश जारी कर 1993 से लेकर आज तक के सभी तदर्थ की सेवाएं समाप्त कर मानदेय देने का आदेश दिया था। जिसको उच्च न्यायालय ने स्थगित करते हुए वेतन जारी करने को कहा है, पर आज तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।