गैस, एसिडिटी ने कर दिया है परेशान तो हो जाइए सावधान, ये कैंसर का हो सकता है संकेत !

एक नए अध्ययन के अनुसार,शुरुआती कोलोरेक्टल कैंसर (सीआरसी), जिसे कोलन कैंसर भी कहा जाता है दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। यह 25-49 वर्ष की आयु के लोगों को अपना शिकार बना रहा है। कोलोरेक्टल कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन शुरुआती चरण में इसे पहचानकर इलाज किया जा सकता है। कुछ लक्षणों को कोलन कैंसर के रेड सिग्नल माना जाता है। अगर यह दिख रहे हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए और डॉक्टर को दिखाना

क्या है कोलन कैंसर

कोलन कैंसर बड़ी आंत में होने वाली बीमारी है, वैसे तो इसका सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों में होता है, लेकिन किसी भी उम्र का व्यक्ति इसका शिकार हो सकता है, खासतौर पर डायबिटीज से ग्रसित मरीज। डायबिटीज के मरीजों में उन लोगों की तुलना में कोलन कैंसर का खतरा 47 प्रतिशत अधिक होता है जो डायबिटीज फ्री होते हैं। वैसे तो कोलन कैंसर का खतरा महिलाओं और पुरुषों दोनों को रहता है, लेकिन आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में इसके मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं।

कोलोरेक्टल कैंसर की सबसे बड़ी वजहें

  • अधिक वसा, लाल मांस, और प्रोसेस्ड फूड का सेवन।
  • परिवार में कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों का इतिहास।
  • शारीरिक गतिविधियों की कमी।
  • इनके सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ता है।
  • मोटापा इस कैंसर के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है।
  • क्रॉनिक इन्फ्लेमेटरी डिजीज जैसे कि क्रोहन डिजीज या अल्सरेटिव कोलाइटिस ।

लक्षण

  1. मल में खून आना।
  2. अचानक वजन घटना।
  3. पेट दर्द या क्रैंप्स।
  4. मल त्याग की आदतों में बदलाव (कब्ज या दस्त)।
  5. लगातार थकावट।
  6. मलाशय में असामान्य डिसचार्ज।

पेट से जुड़ी दिक्कतों को ना करें नजरअंदाज

डाइट में जंक फूड, रेड मीट बहुत ज्यादा लिया जाता है और गट हेल्थ स्वस्थ नहीं होती, तो भी ये कोलन कैंसर होने का कारण बन सकता है। कोलोरेक्टल कैंसर आंत व मलाशय से जुड़ा है जिसके कारण पेट से जुड़ी दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। सीडीसी के मुताबिक इसमें पेट साफ करने की आदत में बदलाव, मल में खून आना, डायरिया-कब्ज, पेट दर्द-क्रैम्प या बेवजह वजन घटना शामिल है।

किसे ज्यादा खतरा है?

50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग या 2. मधुमेह या मोटापे के शिकार व्यक्ति को यह अपनी चपेट में जल्द लेता है। जो लोग अधिक मात्रा में प्रोसेस्ड फूड और मांस खाते हैं उन्हें भी सावधान रहने की जरूरत है।

उपचारः

सर्जरीः कैंसरग्रस्त हिस्से को हटाना।
कीमोथैरेपीः कैंसर कोशिकाओं को खत्म करना।
रेडिएशन थैरेपीः कैंसर के स्थान पर रेडिएशन से उपचार।
इम्यूनोथैरेपीः शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना।
नवीनतम तकनीकेंः टार्गेटेड थैरेपी और बायोलॉजिकल उपचार।

रोकथाम

  1. फाइबर युक्त आहार, फल, और सब्जियां खाएं।
  2. नियमित व्यायाम करें।
  3. वजन नियंत्रित रखें।
  4. धूम्रपान और शराब का सेवन न करें।
  5. 50 वर्ष की आयु के बाद कोलोरेक्टल स्क्रीनिंग कराएं।
  6. परिवार के इतिहास के आधार पर डॉक्टर से नियमित परामर्श करें।
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