धरने पर बैठे 34 किसान गिरफ्तार, रातों-रात पुलिस ने धरना स्थल खाली कराया
नोएडा, नोएडा में पंचायत से पहले पुलिस ने 34 किसानों को गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार देर रात पुलिस ने जीरो पॉइंट पर धरने के लिए बैठे किसानों को भी हटा दिया। पुलिस की इस कार्रवाई से किसानों में आक्रोश है। दरअसल, बुधवार शाम को सीएम योगी ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अराजकता कहीं भी बर्दाश्त नहीं होगी। चाहे वो संभल हो या ग्रेटर नोएडा। इसके बाद आनन-फानन में पुलिस ने एक्शन लिया। 2 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के 10 संगठनों ने अपनी 4 मांगों को लेकर दिल्ली कूच का ऐलान किया था। अफसरों के आश्वासन के बाद किसानों ने 7 दिन का समय दिया और नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर आंदोलन को शिफ्ट कर दिया। इसके बाद पुलिस ने दलित प्रेरणा स्थल आने वाले किसानों को रोक दिया।
इसके साथ ही 8 किसान नेता समेत 123 किसानों को गिरफ्तार कर लिया। 4 दिसंबर को भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) किसानों को छुड़ाने के लिए महापंचायत बुलाई। इसमें शामिल होने जा रहे महापंचायत में शामिल होने पहुंच रहे राकेश टिकैत को पुलिस प्रशासन ने अलीगढ़ के टप्पल पर रोक लिया। इसके बाद पंचायत से किसानों ने ऐलान किया कि अगर 1 घंटे में राकेश को नहीं छोड़ा तो आंदोलन होगा। किसानों के विरोध को देखते हुए पुलिस ने राकेश टिकैत को छोड़ दिया। टिकैत वहां से भागते हुए यमुना एक्सप्रेस-वे पर पहुंचे। पुलिस पीछे-पीछे दौड़ती रही। पुलिस को डर था कि टिकैत हाईवे पर न बैठ जाएं। हालांकि, वह से गाड़ी से ग्रेटर नोएडा के लिए रवाना हो गए। हालांकि, वह धरनास्थल तक नहीं पहुंच पाए थे।
बुधवार शाम को 123 किसानों को भी पुलिस ने लुक्सर जेल में छोड़ दिया। देर रात ग्रेटर नोएडा के जीरो पाइंट पर पंचायत प्रमुखों की पुलिस अफसरों सेबातचीत हुई। इसके बाद पंचायत प्रमुखों ने कहा- आज धरना जीरो पाइंट पर जारी रहेगा। आज संयुक्त मोर्चे की मीटिंग के बाद निर्णय लिया जाएगा कि धरना जीरो पाइंट पर चलेगा या दलित प्रेरणा स्थल पर। भारतीय किसान यूनियन के युवा विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी गौरव टिकैत ने नोएडा में चल रही किसानों की पंचायत में पहुंचकर मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने कहा है- सीधे-साधे किसानों पर अत्याचार हो रहा है। इससे योगी सरकार की छवि धूमिल हो रही है। उन्होंने कहा किसानों के बच्चे, युवा दिशाविहीन हो रहे हैं। दिल्ली तो नजदीक है, लेकिन क्या हमें लखनऊ की भी यात्रा करनी पड़ेगी? निर्दोष किसानों को धरने से अवैध तरीके से उठाकर जेल में ठूंस दिया है। इतनी तानाशाही ठीक नहीं।