माता जानकी और प्रभु श्रीराम को आज लगाएंगे मेहंदी….
अगहन यानी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पुरुषोत्तम श्रीराम का विवाह माता सीता से हुआ था। हर साल इस दिन को भगवान राम और मां सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है।
विवाह पंचमी के उपलक्ष्य में देशभर के प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजन हो रहे हैं। राम-सीता का विवाह रचाया जा रहा है। गुरुवार को हल्दी की रस्म निभाई जाएगी। शुक्रवार को बारात निकलेगी।
मान्यता है कि विवाह पंचमी पर राम-सिया के पूजन से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। इस साल 6 दिसंबर शुक्रवार को शुभ फलदायी सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग सहित अन्य शुभ योगों में विवाह पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन सीता-राम के मंदिरों में विशेष पूजन व धार्मिक आयोजन होंगे। भक्त पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान करेंगे। कई स्थानों पर श्री रामचरितमानस का पाठ भी किया जाएगा।
विवाह पंचमी पर बने रहे ये योग
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि पंचमी तिथि 05 दिसंबर की दोपहर 12:49 बजे आरम्भ होगी। 06 दिसंबर की दोपहर 12:07 बजे सम्पन्न होगी। उदया तिथि के अनुसार, छह दिसंबर को विवाह पंचमी मनाई जाएगी।
छह दिसंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 07:00 बजे से लेकर शाम 5:18 मिनट तक है। पंचमी को शाम 5:18 मिनट से रवि योग भी बन रहा है। यह अगले दिन सात दिसंबर को सुबह 7:01 मिनट तक है।
इनके अलावा ध्रुव योग प्रात:काल से लेकर सुबह 10:43 मिनट तक रहेगा, फिर व्याघात योग बनेगा। विवाह पंचमी को प्रात:काल से श्रवण नक्षत्र है, जो शाम को 5:18 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से धनिष्ठा नक्षत्र है।
रामचरितमानस की रचना हुई थी पूरी
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पूर्ण की थी। साथ ही राम जी और सीता जी का विवाह भी इसी दिन हुआ था। इसलिए विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन राम-सिया के पूजन से शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।