गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए इस दिन होंगे बंद

गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए दो नवंबर को 12:14 पर अभिजीत मुहूर्त में बंद कर दिए जाएंगे। उस दिन डोली गंगोत्री से प्रस्थान कर रात्रि विश्राम के लिए भगवती मंदिर मार्कंडेय के पास निवास करेगी।

तीन नवंबर को मां भगवती गंगे की डोली मुखवा में शीतकालीन प्रवास में विराजमान हो जाएगी‌‌। तत्पश्चात मुखवा में मां गंगा के दर्शन सुलभ होंगे।

साधु-संतों के दल ने गंगा स्नान कर किया ध्यान पूजन

गुजरात के स्वामी नारायण गुरुकुल राजकोट से संत स्वामी के नेतृत्व में 60 साधु संतों का समूह उत्तराखंड के चारधाम की यात्रा पर हैं। मंगलवार को साधु संतों ने डुंडा के पास गंगा स्नान के साथ ही ध्यान और पूजन भी किया।

संत स्वामी ने कहा कि यमुनोत्री में श्रद्धुलुओं ने भारी मात्रा में वस्त्र यमुना में भेंट किए जा रहे हैं जो कि एक गलत परम्परा है।

सनातन धर्म में नदियों में वस्त्र बहाने की कोई व्यवस्था नहीं है। साधुओं के समूह में आए स्वामी वेदांत स्वरूप ने कहा कि देश की तमाम नदियां खासकर मां गंगा और मां यमुना भगवान की कृतियां हैं। भगवान की विभूति हैं, इन मां समान नदियों को गंदा करने का अर्थ है कि हम भगवान को मैला कर रहे हैं।

नदियों को किसी भी तरह का वस्त्र, प्लास्टिक की बनी चीजें और श्रृंगार भेंट न करें

सनातन धर्म के सभी भक्तजनों को किसी भी धाम की यात्रा में जाने पर नदियों को किसी भी तरह का वस्त्र, प्लास्टिक की बनी चीजें और श्रृंगार भेंट नहीं करना चाहिए। गंगा विचार मंच के प्रान्त संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने गुजरात से आए साधु संतों का स्वागत किया।

इस दौरान उन्होंने बताया कि सभी संतो की एकराय है कि मां गंगा, मां यमुना या देश की किसी भी नदी में वस्त्र एवं श्रृंगार का सामान जलधारा में नहीं भेंट करना चाहिए।

नागणी देवी में हेलीपैड व धर्मशाला तैयार

नवरात्री में मां नागणी देवी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। खड़ी चढ़ाई पार कर नागणी देवी पहुंचने पर श्रद्धालु और उत्साह से भर रहा है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की ओर से हेलीपैड और धर्मशाला का भी निर्माण किया गया है।

प्रकृति रूप से बेहद ही सुंदर स्थल तक पहुंचने के सड़क मार्ग और कुछ अन्य पर्यटक सुविधाओं की मांग श्रद्धालुओं ने की। समुद्र तल से लगभग 9000 फीट की ऊंचाई बालखिल्य पर्वत पर मां नागणी देवी मंदिर स्थित है।

उत्तरकाशी मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर संकुर्णाधार से चार किलोमीटर का पैदल मार्ग बेहद ही रोमांचक है। घने बांज बुरांश के जंगल से होकर नागणी देवी मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग पर वन्यजीवों का भी दीदार होता है।

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