महाराष्ट्र की 7 जातियों को OBC में शामिल करने की NCBC की सिफारिश

महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के रिपोर्ट सामने आई है। एनसीबीसी ने राज्य की सात प्रमुख जातियों और उप-जातियों को केंद्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची में शामिल करने की सिफारिश की है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सूबे में चुनाव से पहले सरकार इसे लागू करेगी?
जिन जातियों और उप-जातियों को शामिल करने की सिफारिश की गई है, उनमें लोध, लोढ़ा, लोधी, सूर्यवंशी गुजर, लेवे गुजर, रेवे गुजर, रेव गुजर, डंगरी, भोयर, पवार, कपेवार, मुन्नार कपेवार, मुन्नार कपु, तेलंगा, तेलंगी, पेंटररेड्डी और बुकेकारी शामिल हैं।
एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव पर पिछले साल से काम चल रहा था। इस मुद्दे पर आयोग द्वारा चार से पांच बैठकों का आयोजन किया गया और गहन जांच के बाद, हमने इन जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की है।” एनसीबीसी अध्यक्ष हंसराज अहीर और आयोग के सदस्य भुवन भूषण कमल ने इस मुद्दे पर 26 जुलाई और 17 अक्टूबर को मुंबई के सह्याद्री राज्य गेस्ट हाउस में सुनवाई की।
वहीं राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, सभी सिफारिश की गई जातियां पहले से ही राज्य की ओबीसी सूची में शामिल हैं। पवार, भोयर और पवार जातियों के मामले में, ये पहले से ही केंद्रीय सूची में पवार, भोयर पवार और भोयर के रूप में शामिल थीं। हालांकि, इन समुदायों ने अलग-अलग सूचीबद्ध होने की मांग की थी, जिसके परिणामस्वरूप आयोग ने इन्हें अलग-अलग शामिल करने की सिफारिश की है।
भोयर, पवार और पवार समुदाय मुख्य रूप से पूर्वी महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र, विशेष रूप से भंडारा और गोंदिया जिलों में पाए जाते हैं। इन्हें पहली बार 1996 से 1998 के बीच केंद्रीय सूची में शामिल किया गया था। गुजर उप-जातियां मुख्य रूप से उत्तर महाराष्ट्र में नासिक, जलगांव, धुले और नंदुरबार जिलों में केंद्रित हैं।
मौजूदा वक्त में महाराष्ट्र की 261 जातियां केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल हैं। राज्य सरकारों को जातियों को शामिल करने के लिए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर आधारित डेटा प्रस्तुत करना होता है। आयोग उस डेटा की जांच करता है और फिर केंद्र सरकार को सिफारिश भेजता है। केंद्र सरकार इन जातियों को सूची में शामिल करने के बाद आधिकारिक रूप से अधिसूचना जारी करती है, जिससे ये जातियां केंद्रीय सरकारी नौकरियों, उच्च शिक्षा संस्थानों और छात्रवृत्तियों में आरक्षण का लाभ उठा सकती हैं।