केरल विधानसभा में विपक्ष का जोरदार हंगामा, विजयन सरकार ने निंदा प्रस्ताव किया पेश

केरल विधानसभा के 12वें सत्र का आज तीसरा दिन है। कल शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। अब इसी के जवाब में आज विजयन सरकार ने निंदा प्रस्ताव पेश किया।  बता दें कि 15वीं विधानसभा का 12वां सत्र चार अक्तूबर को शुरू हुआ था। पहले दिन वायनाड भूस्खलन के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के बाद सदन स्थगित कर दिया गया था।

सत्र का दूसरा दिन हंगामे भरा रहा

सत्र का दूसरा दिन सोमवार को हंगामों के साथ शुरू हुआ था। नाराज विपक्ष ने 49 तारांकित प्रश्नों को गैर-तारांकित प्रश्नों में बदलने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष एएन शमशीर के समक्ष नाराजगी व्यक्त की थी। स्पीकर ने विधानसभा सचिवालय द्वारा किए गए बदलावों को सही ठहराया। उन्होंने दावा किया था कि कार्रवाई में कुछ भी असामान्य नहीं था। उन्होंने कहा था कि विपक्ष के प्रति कोई भेदभाव नहीं दिखाया गया है। स्पीकर के बयान से असंतुष्ट यूडीएफ के सदस्य तख्तियां और बैनर लेकर सदन के वेल में आ गए और सरकार एवं स्पीकर के खिलाफ नारेबाजियां करने लगे थे।

सदन का किया था बहिष्कार

प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री पिनरई विजयन जब जवाब दे रहे थे तब यूडीएफ का विरोध तेज होने के बाद स्पीकर ने फिर से हस्तक्षेप किया। बाद में प्रदर्शन कर रहे सदस्य सीट पर लौटने के लिए तैयार थे तो स्पीकर विपक्ष के नेता वी सतीसन को माइक्रोफोन देने के लिए सहमत हुए। कांग्रेस के मैथ्यू कुझालनदान के अलावा सभी विपक्षी नेता सीट पर लौट आए थे। पोडियम में कुझालनदान लगातार विरोध कर रहे थे, जिसके बाद स्पीकर शमसीर ने पूछा था, ‘यहां विपक्ष का नेता कौन है?’

इस पर कांग्रेस नेता सतीसन की तरफ से जवाब दिया था। उन्होंने कहा, ‘आपके (स्पीकर) प्रश्न में अनुचितता है। यह आपकी अपरिपक्वता को दर्शाता है।’ उन्होंने विपक्ष द्वारा सदन का बहिष्कार करने की भी घोषणा की थी। हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और संसदीय कार्य मंत्री एमबी राजेष ने विपक्ष के नेता द्वारा स्पीकर पर की गई टिप्पणी की आलोचना की थी। स्पीकर ने कहा था कि विपक्ष के नेता द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणियों को विधानसभा रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाएगा।

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