जूनियर डॉक्टरों का बड़ा आरोप, आरजी कर अस्पताल में मंगाई जाती थीं घटिया दवाएं, गई कई मरीजों की जान

कोलकाता कोलकाता डॉक्टर रेप मर्डर केस लगातार चर्चा में बना हुआ है। इस केस में एक के बाद एक नया खुलासा हो रहा है। इसी बीच आरजी कर अस्पताल के कुछ जूनियर डॉक्टरों ने शिकायत की है कि अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के कार्यकाल में निम्न गुणवत्ता की दवाएं मंगाई गईं। उनका आरोप है कि इसके जरिए करोड़ों रुपए की अवैध कमाई की गई है।

डॉक्टरों का कहना है कि ये निम्न गुणवत्ता की एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं करतीं, जिसके कारण कई मरीजों की मौत हुई है, जब उन्होंने संदीप घोष से इस मामले की शिकायत की, तो उन्हें परीक्षा में फेल करने और जान से मारने की धमकी दी गई। इन जूनियर चिकित्सकों ने अपनी शिकायत स्वास्थ्य विभाग को भी भेजी है। स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम का कहना है कि जब भी ऐसी शिकायतें मिली हैं, संबंधित दवाओं की जांच कराई गई है, लेकिन किसी भी बार गलत रिपोर्ट नहीं मिली है। इस मामले में अब स्वास्थ्य विभाग को गहरी जांच की आवश्यकता है ताकि सच्चाई सामने आ सके और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। सीबीआई सूत्रों के अनुसार, संदीप घोष के घर पर की गई तलाशी में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। इनमें एक आरटीआई और आरोप पत्र की 288 पन्नों की कॉपी शामिल है। इसके साथ ही 730 पन्नों का टेंडर दस्तावेज भी बरामद किया गया है।

संदीप घोष के घर से 510 पन्नों की एक गोपनीय रिपोर्ट भी मिली है, जो उनके खिलाफ गठित जांच कमेटी द्वारा तैयार की गई थी। अब सीबीआई यह जांच कर रही है कि ये दस्तावेज संदीप घोष के घर पर कैसे पहुंचे। इसके अलावा, यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि संदीप घोष ने सरकारी ई-टेंडर के संबंध में टाला थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को पत्र क्यों भेजा। सीबीआई इस मामले की गहराई से जांच कर रही है ताकि सच्चाई सामने आ सके। बर्द्धमान मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के गेस्ट हाउस में आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर अभिक दे और उनके साथी जूनियर डॉक्टरों विशाल सरकार और उमर फारूक पर शराब की पार्टी करने का आरोप लगाया गया है।

सूत्रों के अनुसार, पार्टी में पहली और दूसरी वर्ष की मेडिकल छात्राओं को कथित तौर पर जबरदस्ती और डरा-धमकाकर हास्टल से बुलाया जाता था। उन्हें भोजन और शराब परोसने के लिए कहा जाता था और मेहमानों का मनोरंजन करने का आदेश भी दिया जाता था। यदि कोई छात्रा पार्टी में शामिल नहीं होती, तो उन्हें परीक्षा में फेल करने और पंजीकरण रोकने की धमकी दी जाती थी।

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