उत्‍तराखंड में पहली बार दो दिन में पूरी हुई शव यात्रा, देर रात तक श्‍मशान में जलती रहीं चिताएं

दो दिन की भारी बारिश ने पूरे पहाड़ को हिला कर रख दिया। लोगों को तमाम दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। पहली बार शव यात्रायें भी दो दिन में पूरी हो पाई। घाटों में देर रात तक चितायें चलती रहीं। अंधेरा घिरने के बाद लोग घरों को लौटे, लेकिन मार्ग बंद होने से वाहनों में रात बितानी पड़ी। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से शुक्रवार का आधा दर्जन शव यात्रायें रामेश्वर घाट पहुंची।

आठगांवशिलिंग क्षेत्र के एक व्यक्ति की मृत्यु हल्द्धानी में हुई। परिजन अंत्येष्टि के लिए शव रामेश्वर घाट लाये। गांव से नाते-रिश्तेदार घाट पहुंचे। सड़क बंद होने से ग्रामीणों को पैदल ही रामेश्वर पहुंचना पड़ा। सूर्यास्त से पहले चिता लग गई। दाह संस्कार पूरा होने में करीब तीन से चार घंटे का समय लगा। इस दौरान अंधेरा घिर गया।

ग्रामीणों को उम्मीद थी घाट के पास बंद पड़ी सड़क वापसी तक खुल जायेगी, लेकिन सड़क नहीं खुल सकी। शवयात्रियों ने रात वाहनों में ही बिताई। सुबह भी सड़क खुलने में हो रही देरी को देख पैदल ही गांव के लिए रवाना हो गये। दोपहर बाद ग्रामीण वापस गांव लौट सके।

मरीज भी रहे बेहाल

पिथौरागढ़- टनकपुर सड़क जामिरखेत, मीना बाजार, दिल्ली बैंड में बंद रही। जिसके चलते कई मरीज घंटों मार्ग में फंसे रहे। हल्द्धानी से उपचार कराकर घर लौट रहे प्रेमचंद्र के परिजनों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्हें आक्सीजन सिलेंडर लगाकर घर लाया जा रहा था। मार्ग बंद होने से वह घाट के पास फंस गये।

उन्हें हल्द्धानी से लगाया गया सिलेंडर घाट के पास खत्म हो गया। देवयोग से एम्बुलेंस में दूसरा सिलेंडर था, जिससे उन्हें राहत मिल गई। परेशान परिजनों ने विभिन्न माध्यमों से मदद की गुहार प्रशासन से लगाई, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई। शनिवार को दाेपहर बाद मार्ग खुलने पर ही वे घर पहुंच सके।

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