पीएम मोदी ने की पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क से मुलाकात, इस मुद्दे पर की चर्चा

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वारसॉ में पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। वार्ता से पहले चांसलरी में मोदी का रेड कारपेट स्वागत किया गया। वह पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज सैबेस्टियन डूडा के साथ भी बातचीत करेंगे। बता दें कि यह 45 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली पोलैंड यात्रा है। वॉरसा पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने बच्चों से उत्साह के साथ मुलाकात की। बच्चों ने गुलदस्ता देकर पीएम मोदी का स्वागत किया।

प्रधानमंत्री मोदी अपनी दो देशों की यात्रा के पहले चरण में बुधवार को पोलैंड पहुंचे। पीएम मोदी ने वारसॉ में गुड महाराजा मेमोरियल में श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की गई। इसके बाद पीएम मोदी पोलैंड के पीएम के निमंत्रण पर दोपहर के भोजन में शामिल होंगे। राष्ट्रपति आंद्रेज सैबेस्टियन डूडा से मुलाकात करेंगे। साथ ही पोलैंड के व्यापारिक नेताओं और प्रबुद्ध लोगों से मिलेंगे। 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन संघर्ष को लेकर की बात

पीएम मोदी के साथ पोलैंड दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को पोलैंड के विदेश मंत्री रैडोस्लाव सिकोरस्की से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष और भारत प्रशांत की स्थिति और द्विपक्षीय सहयोग को लेकर चर्चा की। जयशंकर एस ने एक्स पर पोस्ट किया कि पोलैंड के विदेश मंत्री के साथ हुई मुलाकात में यूक्रेन संघर्ष और अन्य मुद्दों को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा पोलैंड के साथ द्विपक्षीय संबंधों को नई गति देगी।

क्या है पीएम मोदी का पूरा कार्यक्रम

पीएम मोदी अपनी यात्रा के दौरान यूक्रेन भी जाएंगे। पीएम मोदी अभी पोलैंड की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। इसके बाद 23 अगस्त को पीएम मोदी युद्ध में झुलस रहे यूक्रेन का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री पोलैंड से कीव तक ट्रेन से यात्रा करेंगे, जिसमें करीब 10 घंटे लगेंगे। वापसी की यात्रा भी लगभग इतनी ही अवधि की होगी। उनकी कीव यात्रा मॉस्को की उनकी हाई-प्रोफाइल यात्रा के कुछ सप्ताह बाद हो रही है, जिसकी अमेरिका और उसके कुछ पश्चिमी सहयोगियों ने आलोचना की थी। अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें

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