थाईलैंड में पाएटोंगटार्न चिनावाट 37 साल की उम्र में बनी प्रधानमंत्री

थाईलैंड में अपना नया प्रधानमंत्री चुन लिया है। पाएटोंगटार्न चिनावाट 37 साल की उम्र में थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री बन गई हैं। वह थाईलैंड के अरबपति नेता टाकसिन चिनावट की बेटी हैं। यह उनका पहला चुनावी मुकाबला था। 37 वर्षीय पाएटोंगटार्न ने गर्भवती होने के बावजूद कई सप्ताह तक चुनाव प्रचार किया था। पूर्व प्रधानमंत्री टाकसिन के तीन बच्चों में सबसे छोटी पाएटोंगटार्न ने गुरुवार को फ्यू थाई का समर्थन जीतने के बाद मीडिया से कहा, “देश को आगे बढ़ना है।” हम दृढ़ संकल्प लेते हैं कि हम साथ मिलकर देश को आगे बढ़ाएंगे।” पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन चिनावट की बेटी अपने पिता और चाची के पद पर बैठेंगी।

गौरतलब है कि उनकी फ्यू थाई पार्टी 2023 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी। हालांकि जीतने वाले पार्टी को सैन्य समर्थित सांसदों ने सरकार बनाने पर रोक लगा दिया। इसके बाद फ्यू थाई पार्टी ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी। शुक्रवार को प्रधानमंत्री श्रीथा थाविसिन को अदालत के आदेश के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। इसके लगभग 48 घंटे बाद पाएटोंगटार्न ने जरूरी संसदीय समर्थन हासिल कर लिया।

परिवार का इतिहास

इस जीत के साथ पाएटोंगटार्न सबसे कम उम्र की थाई प्रधानमंत्री बन जाएंगी और अपनी चाची यिंगलक के बाद इस पद पर बैठने वाली दूसरी महिला बन जाएंगी। उनके पिता और चाची के नेतृत्व वाली सरकारों को 2006 और 2014 में सेना ने गिरा दिया था। पाएटोंगटार्न इस क्रम को जरूर तोड़ना चाहेंगी। टाकसिन 15 साल बाद पिछले अगस्त में थाईलैंड लौटे थे। उस समय जब फ्यू थाई सरकार बनाने के लिए सैन्य समर्थित दलों के साथ गठबंधन कर रहा था। पॉपुलिस्ट फ्यू थाई और रूढ़िवादी-राजशाही समूह का एक साथ आना हैरानी की बात थी। यह दो दशकों से 6 करोड़ लोगों का आबादी वाले देश में वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस वजह से देश में कई बार तख्तापलट की स्थिति भी बनी।

आसान नहीं होंगी उनकी राहें

पाएटोंगटार्न ने अपना बचपन देश की उथल-पुथल भरी राजनीति में बिताया। उनके पिता टाकसिन ने 1998 में थाई राक थाई पार्टी की शुरुआत की। मार्च में एक भाषण के दौरान उन्होंने कहा था, “जब मैं आठ साल की थी तब मेरे पिता राजनीति में आए। उस दिन से मेरा जीवन भी राजनीति से जुड़ गया है।” 2001 तक टाकसिन प्रधानमंत्री बन गए और उन्होंने स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण विकास और कृषि सब्सिडी पर खर्च बढ़ा दिया। 2006 में तख्तापलट के बाद वह पद से हट गए थे। तब से पाएटोंगटार्न फ्यू थाई पार्टी का चेहरा बन गईं और इसके तीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में से एक बन गईं। पाएटोंगटार्न ने कभी भी सरकारी पद नहीं संभाला है और उनके पास कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं है। चुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय के एक राजनीति विज्ञानी थितिनन पोंगसुधीरक ने कहा, “उन पर नजर रखी जाएगी। उन पर बहुत दबाव होगा। उन्हें अपने पिता पर निर्भर रहना होगा।”

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