नाले में गिरने से मां-बच्चे की मौत मामले पर आज सुनवाई करेगा दिल्ली हाईकोर्ट
मयूर विहार में खुले डीडीए नाले में गिरने से मां और बच्चे की मौत का मामले में आज दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। जनहित याचिका दायर कर दोषी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है और बाढ़ के उपायों सहित सभी चल रहे नाली निर्माण के ऑडिट की भी मांग की गई है। यह मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उठाया गया। अदालत ने मामले को पांच अगस्त को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।
निगम व डीडीए दोनों विभाग एक-दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा
मूसलधार वर्षा के दौरान 31 जुलाई की देर शाम गाजीपुर में खोड़ा कालोनी निवासी तनुजा बिष्ट व उनके तीन वर्षीय बेटे प्रियांश की नाले में डूबकर मौत हुई थी। इस हादसे को पांच दिन गुजर चुके हैं। दिल्ली पुलिस यह तक पता नहीं लगा पाई है कि जिस जगह पर हादसा हुआ है वह नाला निगम व डीडीए में से किसका है।
दोनों विभाग एक दूसरे को जिम्मेदार तो बता रहे हैं, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं है नाला उनके विभाग का है। जिस तरह से ओल्ड राजेंद्र में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत के बाद विभागों की नींद टूटी थी और तेजी से कार्रवाई की थी। वह तेजी गाजीपुर वाले हादसे में दिखाई नहीं दे रही है।
अभी भी हादसे की संभावना बरकरार
निगम व डीडीए ने पुलिस के सामने अपना पक्ष नहीं रखा है। हादसे के बाद एसडीएम मयूर विहार संजय कुमार ने डीडीए, पीडब्ल्यूडी और निगम के अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया था। विभागों को आदेश दिए थे कि नाले पास अपने विभाग का नाम लिखकर एक बोर्ड लगाएं, ताकि पता चल सके कौन सा नाला किस विभाग का है।
निगम ने नाले के पास बोर्ड लगा दिया है, उसपर विभाग के नंबर भी लिखे हुए हैं। इस बोर्ड के जरिये बताया है कि कहां से उसकी सीमा शुरू होती है। हादसे के बाद निगम ने खानापूर्ति करते हुए अपने हिस्से के खुले नाले पर कुछ जगह लकड़ी के बैरिकेड लगाए थे, लेकिन अधिकतर नाला अभी भी खुला हुआ है। हादसे की संभावना बरकरार है।