MPS मेंटेन करने के लिए सरकार ने 2 साल के लिए बढ़ाई समयसीमा, जानिए….
पब्लिक सेक्टर के बैंक और वित्तीय संस्थान काफी समय से मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग में दो साल के एक्सटेंशन की उम्मीद कर रहे थे। अब भारत सरकार ने 2 साल का एक्सटेंशन दे दिया है। इसका मतलब है कि मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) के लिए बैंक और वित्तीय संस्थान के पास अगस्त 2026 तक का समय है।
2 साल की मिली छूट
केंद्रीय सरकार द्वारा दिए गए छूट के अनुसार अब बैंक और वित्तीय संस्थान 1 अगस्त 2026 तक एमपीसीएस मेंटेन कर सकते हैं। आपको बता दें कि मार्केट रेगुलेटरी सेबी (SEBI) ने पब्लिक सेक्टर बैंक को आदेश दिया था कि वह 25 फीसदी एमपीएस मेंटेन करें। अभी भी 5 बैंकों का एमपीएस 25 फीसदी से ज्यादा है।
जिन बैंकों की सार्वजनिक हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से कम है वह प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) नियम 1957 के नियम 19 ए में निर्धारित समयसीमा के भीतर अपनी सार्वजनिक हिस्सेदारी को कम से कम 25 प्रतिशत तक करें। अब इस काम के लिए बैंकों के पास अतिरिक्त दो साल का समय है। सरकार द्वारा जारी पिछले आदेश के अनुसार बैंक को 1 अगस्त 2024 तक एमपीएस मेंटेन करना होगा।
सरकार ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को कहा है कि वह आवश्यक कार्रवाई करें और इसे संबंधित स्टॉक एक्सचेंजों के ध्यान में लाए।
5 बैंकों का मेंटेन नहीं हैं एमपीएस
12 पब्लिक सेक्टर बैंकों में से पांच बैंकों का अभी भी एमपीएस 25 फीसदी से ज्यादा है। इन बैंकों में सरकार की 75 फीसदी हिस्सेदारी होनी चाहिए। सेबी ने आदेश दिया है कि सभी कंपनियों की एमपीसी 25 फीसदी होनी चाहिए।
- पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 फीसदी है।
- चेन्नई में स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 96.38 प्रतिशत है।
- यूको बैंक में 95.39 प्रतिशत की हिस्सेदारी सरकार के पास है।
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 फीसदी हिस्सेदारी सरकार के पास है।
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र की 86.46 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार के पास है।
आगामी दो साल में इन बैंकों को अपना एमपीएस 25 फीसदी करना है।