आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण की आधारशिला: एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ मिलकर भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण की आधारशिला है।

बता दें, फिलहाल जयशंकर दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) की बैठकों में भाग लेने के लिए लाओस की राजधानी में मौजूद हैं। उन्होंने आसियान-भारत के विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा कि आसियान के साथ मौजूदा राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग देश की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

यह है प्राथमिकता

उन्होंने आगे कहा, ‘देश के लिए, आसियान उसकी एक्ट इंडिया नीति और उसके हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण की आधारशिला है, जो उसके बाद इसी पर आधारित है। आसियान के साथ मौजूदा राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग सबसे पहली प्राथमिकता है।  साथ ही लोगों के बीच संपर्क भी बना हुआ है, जिसे हम लगातार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।’

हर दिन नया आयाम हासिल कर रहे

उन्होंने कहा कि यह उत्साहजनक है कि भारत-आसियान साझेदारी हर दिन नया आयाम हासिल कर रही है। जयशंकर की यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि लाओस की यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक दशक पूरा हो रहा है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में नौवें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की थी।

यह है आसियान के सदस्य

आसियान के 10 सदस्य देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया हैं। जयशंकर ने शुक्रवार को न्यूजीलैंड के अपने समकक्ष विंस्टन पीटर्स से मुलाकात की और शिक्षा, कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशांत द्वीप समूह और क्रिकेट पर चर्चा की।

क्या है एक्ट ईस्ट नीति?

भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने शुरू की थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में बदल दिया। इसके तहत भारत ने एशिया के दूसरे देशों में आर्थिक विकास के अवसर खोजने पर जोर दिया। दक्षिण एशियाई देशों जैसे थाइलैंड, वियतनाम, म्यांमार, वियतनाम, सिंगापुर, फिलीपिंस और कंबोडिया जैसे देशों के साथ संबंध प्रगाढ़ करने की इस नीति को चीन के साथ संतुलन बनाए रखने की नीति के तौर पर भी देखा जाता है। 

आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) देशों के साथ भारत निवेश बढ़ा रहा है। वहीं, संस्कृति की बात करें तो कुछ दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत की संस्कृति मिलती-जुलती है। इस सामनता को उभारकर देशों के साथ घनिष्ठता बढ़ाई जा रही है। आसियान का उद्देश्य ही है कि सदस्य देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता को कायम रखा जाए। साथ ही झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा हो।

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