नजाकत और तहजीब से सराबोर नवाबों का शहर है लखनऊ, इन जगहों पर जरूर करें सैर

गोमती नदी के तट पर बसा लखनऊ न केवल देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध है, बल्कि इस शहर की बहुसांस्कृतिक विशेषताएं देश-विदेश के पर्यटकों को यहां आने के लिए मजबूर करती हैं।

अदब के इस शहर में यहां के लोग अपने मेहमानों की खातिर भी कोई कसर नहीं छोड़ते। लखनऊ को कबाब और नवाबों के शहर रूप में जाना जाता है जो अपने साहित्य और संस्कृति और वास्तुकला के लिए काफी प्रसिद्ध है। लखनऊ एक ऐसा शहर है जो अपने आकर्षक पर्यटन स्थलों से पर्यटकों के चेहरे पर एक अनोखी मुस्कान छोड़ देता है। यह शहर समृद्ध औपनिवेशिक इतिहास से लेकर संग्रहालयों तक आधुनिक शहर की सादगी की भव्यता को एक साथ प्रदर्शित करता है। यहां के चप्पे-चप्पे पर नवाबी शानोशौकत की छाप देखी जा सकती है। तो क्या आप कभी लखनऊ गए हैं? और अगर नहीं गए हैं और लखनऊ घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो इन जगहों पर जाना बिल्कुल न भूले।

घंटाघर

घंटाघर रूमी दरवाजे से कुछ ही कदम की दूरी पर है। इसे हुसैनाबाद घंटाघर के नाम से भी जाना जाता है, जो इमामबाड़ा के ठीक सामने स्थित है। इस क्लॉक टॉवर की ऊंचाई लगभग 221 फीट है, कहा जाता है कि यह भारत का सबसे ऊंचा क्लॉक टॉवर है। जिसका निर्माण नसीर-उ-दीन हैदर ने 1881 में शुरू करवाया था। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि 221 फीट ऊंचे इस घंटाघर के निर्माण में किसी भी खंभे का इस्तेमाल नहीं किया गया था। इस घंटाघर को लंदन के बिग बेन की तर्ज पर बनाया गया था। यहां तक कहा जाता है कि इस क्लॉक टावर के पहिए बिग बेन से भी बड़े हैं।

लखनऊ चिड़ियाघर

लखनऊ चिड़ियाघर या लखनऊ जू शहर के केद्र में स्थित घूमने की एक अच्छी जगह है जो वन्यजीव उत्साही लोगों का सबसे पसंदिता अड्डा है। यह विशाल चिड़ियाघर 71.6 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है जिसको 1921 में वेल्स के राजकुमार हिज रॉयल हाइनेस की यात्रा की याद में स्थापित किया गया था। इस जू को पहले वेल्स के राजकुमार के रूप में जाना जाता था लेकिन बाद में इसका नाम बदल दिया गया था। लखनऊ चिड़ियाघर में रॉयल बंगाल टाइगर, व्हाइट टाइगर, लायन, वुल्फ, ग्रेट पाइड हॉर्नबिल, गोल्डन तीतर और सिल्वर तीतर जैसे कुछ आकर्षक जानवरों और पक्षियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखा जा सकता है। अगर आप लखनऊ शहर की यात्रा के लिए आते हैं तो आपको शहर के इस चिड़ियाघर के जानवरों को देखने जरुर जाना चाहिए।

रूमी दरवाजा

हुसैनाबाद मार्ग पर आपको दूर से एक बड़ा सा दरवाजा दिखेगा, बेहद खूबसूरत।।। जो अपनी इसी खूबसूरत बनावट के चलते मशहूर है। नाम है रूमी दरवाजा, जो लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। साल 1784 में नवाब आसफुद्दौला ने रूमी दरवाजा और इमामबाड़ा बनवाना शुरू किया था, जो दो साल बाद 1786 में बनकर तैयार हुआ। ये दरवाजा तकरीबन 60 फीट ऊंचा है। रूमी दरवाजा अवध वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, इस दरवाजे की बनावट तुर्की के सुल्तान के दरबार के प्रवेश द्वार से काफी मेल खाती है, इसलिए लोग इसे ‘तुर्किश गेट’ के नाम से भी जानते हैं।

बड़ा इमामबाड़ा/भूलभुलैया

लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों में से एक बड़ा इमामबाड़ा या कहें आसिफी इमामबाड़ा, इसे 1784 में नवाब आसफ-उद-दौला ने बनवाया था। इसके संस्थापक किफायत-उल्लाह थे। यहां की स्थापत्य कला में इस्लाम का गहरा प्रभाव है। इस इमामबाड़े की सबसे बड़ी खासियत यहां बनी भूलभुलैया है। इस भूल भुलैया के घुमावदार रास्ते, बारीक कलाकृतियां जैसे कलाकारी, नक्काशियां और गुप्त सुरंगें इसे और खास बनाती हैं।

अंबेडकर मेमोरियल पार्क

अंबेडकर मेमोरियल पार्क लखनऊ का प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसका निर्माण भीमराव अंबेडकर कांशी राम और अन्य जैसे लोगों की याद में बनाया था जिन्होंने समानता और मानवीय न्याय के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया था। सात अरब रुपये के बजट के साथ बना यह पार्क लखनऊ में देखने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है।

सिकंदर बाग

लखनऊ का वनस्पति उद्यान संपूर्ण भारत के वनस्पति विज्ञान केन्द्रों मे एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है। ये शहर के बीचों-बीच स्थित है। ये बाग लगभग 150 एकड़ की जगह पर फैला हुआ है। जहां कई सारी प्रजातियों के फूल देखने को मिलते हैं। इस खूबसूरत गार्डन को बहुत ही प्यार से बसाया था नवाब वाजिद अली शाह ने, जो अवध के आखिरी नवाब थे। कहते हैं उन्होंने अपनी बेगम सिकंदर महल के लिए इसे बनवाया था, जो कि उनकी सबसे पसंदीदा बेगम थी। उन्हीं के नाम पर नवाब साहब ने इसका नाम सिकंदर बाग रखा।

बेगम हजरत महल पार्क



बेगम हज़रत महल पार्क, जो परिवर्तन चौक पर स्थित है। यह स्थान न केवल खूबसूरत है, बल्कि इसका अपना अस्तित्व और इतिहास है। बेगम हज़रत महल, जिन्हें अवध की बेगम के नाम से भी जाना जाता है, अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थीं। उनके पति को अंग्रेजों द्वारा कलकत्ता निर्वासित किए जाने के बाद, उन्होंने लखनऊ पर कब्जा कर लिया और अवध की रियासत पर अपना शासन बनाए रखा। स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली बेगम हजरत महल ने लखनऊ से 1857 की क्रांति का नेतृत्व किया था। उन्हीं की याद में इस पार्क का नाम रखा गया है।

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