फ्री इलाज के क्लेम पर लग सकती है रोक, आयुष्मान कार्ड में दवा-इंप्लांट पर यह है बड़ा अपडेट

आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को इलाज एवं सर्जरी करने के बाद क्लेम के दौरान दवाओं एवं इंप्लांट के बार कोड नहीं लगाए तो क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से निजी अस्पतालों के बाद अब सरकारी अस्पतालों में भी इसे लेकर सख्ती कर दी गई है।

एसएचए की ओर से बार कोड नहीं लगाने वाले मामलों के क्लेम रोकने शुरू कर दिए गए हैं। देहरादून के देहरादून, कोरोनेशन समेत राज्य के अन्य अस्पतालों में अब सिस्टम में सुधार किया जा रहा है। ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है कि हर केस में बार कोड न छूटे।

मरीजों को जरूरत के हिसाब से दवा एवं उपकरण उपलब्ध करा बेहतर इलाज दिलाने, योजना में गड़बड़ी रोकने, मरीजों से दवाएं-उपकरण बाहर से मंगाने की लगातर शिकायतें मिलने पर इसमें रोक लगाने को यह कदम उठाया गया है। आयुष्मान के टीएमएस पोर्टल के नए वर्जन में इसका प्रावधान किया गया है।

आयुष्मान योजना में गड़बड़ी रोकने और मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएचए) ने सख्ती शुरू कर दी है। अब प्राइवेट के साथ ही सरकारी अस्पतालों को भी क्लेम के लिए दवा और इंप्लांट के बार कोड लगाने होंगे।

देहरादून में अधूरे दस्तावेजों वाले दावों में लगी आपत्तियां

दून अस्पताल में रोजाना आयुष्मान के औसतन 60-70 मरीज भर्ती होते हैं। एसएचए द्वारा हाल ही में 160 केसों में अधूरे दस्तावेजों के चलते आपत्ति लगाकर क्लेम रोक दिए हैं। दवा, इंप्लांट के बार कोड नहीं होने, कॉडियो, सर्जरी, ऑर्थो समेत कई कई विभागों के ओटी नोट्स नहीं होने, कैंसर रोग विभाग से कीमो एवं डायलिसिस से डायलिसिस चार्ट नहीं होने की ये आपत्तियां है। अब वेंडरों, डॉक्टरों से समन्वय बनाकर इन्हें हल कर रहे हैं। लाखों का भुगतान अटक गया है।

80 फीसदी मरीज आयुष्मान में कवर

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि हाल ही में समीक्षा की है। महीने में अस्पताल में करीब चार हजार मरीज इलाज एवं सर्जरी के लिए भर्ती हो रहे हैं। इन मरीजों में 80 फीसदी को आयुष्मान में कवर कर लिया जा रहा है। कुछ के पास राशन कार्ड एवं बाहर के होने की वजह से दिक्कत है। बीएफए कर्मचारी आईसीयू एवं वार्ड में जाकर आयुष्मान कार्ड बना रहे हैं।

अस्पताल कर रहे व्यवस्था में बदलाव

दून अस्पताल के आयुष्मान नोडल एवं डीएमएस डॉ. धनंजय डोभाल ने बताया कि एसएचए के निर्देशों के बाद दवा एवं इंप्लांट देने वाले वेंडरों को अनिवार्य रूप से बार कोड लगाने को निर्देशित किया है। मरीज की फाइल पर ही क्लेम के लिए क्या क्या जरूरत होगी, लिखा जा रहा है। ताकि डॉक्टर एवं स्टाफ उसकी व्यवस्था कर लें। वार्ड या ओटी में दवा एवं इंप्लांट देते समय फाइल में ही बार कोड लगाने को कहा है।

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