नाटो से तनाव के बीच रूस और चीन ने दिखाई ताकत, साउथ चाइना सी में अभ्यास कर दिया चैलेंज

रूस और चीन की सेनाओं ने रविवार को दक्षिण चीन सागर के एक बंदरगाह में नौसैन्य अभ्यास कर अमेरिका समेत नाटो संगठन को चुनौती दी है। यह अभ्यास ऐसे वक्त में किया गया, जब नाटो के साथ रूस और चीन का तनाव चल रहा है। नाटो की हाल ही में मीटिंग हुई थी, जिसमें नाटो देशों ने चीन पर भी निशाना साधा गया था। इस मीटिंग में कहा गया था कि चीन की ओर से यूक्रेन की जंग में रूस को सक्रिय समर्थन दिया जा रहा है। इसके बाद अब रूस और चीन की नौसेनाएं एक साथ आई हैं और अभ्यास किया है। कुछ दिन पहले ही उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों ने बीजिंग को यूक्रेन में युद्ध का ‘निर्णायक समर्थक’ बताया था।

चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि दोनों देशों की वायु सेना ने हाल में पश्चिमी और उत्तरी प्रशांत महासागर में गश्त की। इस अभ्यास का अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्थितियों से कोई लेना-देना नहीं है तथा इसमें किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया गया। यह अभ्यास रविवार को गुआंगडोंग प्रांत में शुरू हुआ और इसके जुलाई मध्य तक जारी रहने की संभावना है। सरकारी प्रसारणकर्ता ‘सीसीटीवी’ ने शनिवार को बताया था कि इस अभ्यास का उद्देश्य सुरक्षा खतरों से निपटने और वैश्विक व क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता बनाए रखने की क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। इसमें मिसाइल रोधी अभ्यास, समुद्री हमले और वायु रक्षा शामिल है।

अहम बात यह है कि यह अभ्यास दक्षिण चीन सागर के बंदरगार में किया गया, जिसे लेकर विवाद रहा है। जापान, वियतनाम जैसे कई देश इस पर अपना हक जताते रहे हैं। वहीं दक्षिण चीन सागर पर चीन भी अपनी दावेदारी पेश करता रहा है और अकसर अपने सैनिक उसने यहां उतारे हैं। ‘शिन्हुआ’ समाचार एजेंसी ने बताया कि चीनी और रूस नौसेना ने झांगजियांग शहर में उद्घाटन समारोह के बाद अभ्यास किया। पिछले सप्ताह नाटो देशों के साथ चीन के तनाव के बाद यह संयुक्त अभ्यास हो रहा है।

नाटो की मीटिंग में चीन पर क्या कहा गया था

वॉशिंगटन में नाटो के शिखर सम्मेलन में बीजिंग की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया था कि चीन, रूस के साथ अपनी तथाकथित ‘बिना सीमा वाली साझेदारी’ और रक्षा औद्योगिक आधार का बड़े पैमाने पर समर्थन कर यूक्रेन के खिलाफ उसके युद्ध में निर्णायक रूप से बढ़ावा देने वाला बन गया है। इसके जवाब में चीन ने नाटो पर दूसरों की कीमत पर सुरक्षा पाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था और उससे एशिया में ऐसी ‘अराजकता’ न फैलाने के लिए कहा था।

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