छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में अंग्रेज भी हार मानकर मत्था टेकने को हुए मजबूर, पढ़ें पूरी खबर…

वैसे तो भगवान नारायण को अपने तारीफ वा किसी चीज का अवस्कता नही होता क्योंकि भगवान सर्वत्र है,केवल अपने भक्तो की चिंता यानी भगवान जगन्नाथ भक्तो के वश में रहते है। भगवान जगन्नाथ शब्द संस्कृत शब्द है। जिनका अर्थ जगत के मालिक होता है। पूरे देश में 7 जुलाई को रथ यात्रा निकाली जाएगी जिनकी तैयारी जोरों पर है,  वैसे तो पूरे देशभर में जगन्नाथ के मंदिर बने हुए है। लेकिन धमतरी में एक ऐसे ऐतिहासिक वैष्णव मंदिर है जो 135 वर्ष पुराना होने के साथ कई आलोकिक चमत्कारों से मंदिर ही नही बल्कि भक्तो को समेटे हुए है। यह ऐतिहासिक वैष्णव मंदिर भगवान विष्णु के 8 वां अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित है, जहा से अंग्रेजो ने भी हार मानकर मत्था टेकने को विवश हो गए थे। 

दरअसल धमतरी शहर के मध्य सदर रोड मठ मंदिर चौक के पास स्थित जगन्नाथ मंदिर है। जहा सुबह शाम भक्तो के लंबी कतारें लगी रहती है। मंदिर में जो मूर्ति स्थापित किया गया है वो विशेष रूप से नीम वृक्ष के लकड़ियों से पूरी के स्वर्गीय लक्ष्मण दाऊ ने बनाया गया था। जो 135 वर्षो से प्रतिमा आज भी सकुशल विराजमान है। इसमें अभी तक किसी भी प्रकार का खामी नहीं आई है। पुजारी ने बताया की नीम के लकड़ियां काफी मजबूत होने के साथ-साथ खासी लंबी समय तक ठीक ठाक रहता है।  यही कारण है आज मूर्ति के चमक पर कोई असर नहीं पड़े। इसके अलावा रथ यात्रा में दूर दराज से लोग धमतरी आते है और भक्त अपने आराध्य जगन्नाथ का एक झलक पाने को बेकरार रहते है। वही रथ यात्रा के तैयारी में मंदिर ट्रस्ट लगी हुई है। इसके अलावा भक्तो को काड़ा प्रसाद का वितरण किया जा रहा है। फिलहाल भगवान जगन्नाथ का दर्शन अभी नहीं हो पा रहा है। क्योंकि भगवान 15 दिनों तक बीमार पड़ जाते है जिन्हे ठंडे पानी से स्नान कर अदृश्य रखा जाता है और 15 दिन की अवधि पूरी होते ही सार्वजनिक तौर पर भगवान का दर्शन होना शुरू हो जाते है।

मंदिर के पुजारी ने बताया की 1918 में नई मूर्ति लाने के दौरान एक बड़ा चमत्कार हुआ था। दरअसल पूरी से तीनो मूर्तियों को एक बक्शे में रख कर रायपुर तक ट्रेन में लाए। यहां से फिर छोटी रेल लाइन से धमतरी ला रहे थे इस बीच अभनपुर के आसपास अंग्रेज टीटीइ बक्शे का भी टिकट मांगा। टीटीई को बताया गया की इसमें भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा है जिसे स्थापित करने धमतरी ले जा रहे है। पर टीटीई बक्शे का लगेज लगने को बात करते हुए बक्शा माल गाड़ी में सिफ्ट करने को कह रहे थे।

इस दौरान अंग्रेज टीटीई ने बक्शे को ही लाठी से मार दी कुछ ही देर में रेल के 2 डिब्बे पटरी से उतर गए। वही जिस डिब्बे में भगवान जगन्नाथ को रखा गया था वह डिब्बा सुरक्षित था। टीटीई को अंतर्ध्यान हुआ और प्रतिमा का अपमान करने से पटरी से डिब्बे उतरा है। जिनके बाद टीटीई ने माफी मांगी और वो भी तीनो प्रतिमा के साथ धमतरी आया। जहा मूर्तियो की स्थापना तक रहे और वह अपने मत्था टेक चला गया। इसके अलावा धमतरी के एक आत्माराम नाग  एक समय  तिरूपति बालाजी चला गया था। जिनका कलर के परमोशन के लिए इंटरव्यू दूसरे दिन थे, पर उस भक्त को पता नहीं था की उसके इंटरव्यू का कल लास्ट डेट है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ सपने में आकर उसे तत्काल धमतरी जाने को कहा जिनके बाद भक्त धमतरी आया और उन्हें ज्ञात हुआ कि आज इंटरव्यू का लास्ट दिन है और बड़े कुसलता से इंटरव्यू दिए और पास भी हुए। भगवान ने बताया नही होता तो निश्चित ही काम हाथ से निकल जाते इस घटना के बाद से आत्माराम नाग ने ज्यादातर जगन्नाथ मंदिर पर ही अपने सेवा देते रहे। ऐसे ही कई चमत्कार काफी भक्तो के साथ हुए है। 

बताया गया की यह वैष्णव मंदिर पहले शिव मंदिर हुआ करता था। लेकिन अचानक से कही अदृश्य हो गए, जिन्हे कोई नही जान सका की आखिर शिव का मंदिर कहा गया। लेकिन मंदिर के गुम्मद आज भी है। मंदिर के अंदर आज लोग शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना किया करते है। वास्तव में धमतरी के जगन्नाथ मंदिर चमत्कारो से भरे हुए है। यहां आए दिन भक्तो के साथ नई नया चमत्कार होता रहता है।  यही कारण है पूरे साल भक्तो का तांता लगा हुआ रहता है। इधर 7 जुलाई को रथ यात्रा की तैयारी में मंदिर ट्रस्ट बड़े ही जोरों से लगा हुआ है। इसके अलावा भक्तो को भी रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ, सोभद्रा और बलराम के दर्शन मिलेगें। इस बार लाखों की संख्या में भक्त रथ यात्रा में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।‌

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