संविधान पर सबसे बड़ा हमला था आपातकाल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बोलते ही विपक्ष ने जमकर किया हमला

भारत के संविधान पर आपातकाल सबसे बड़ा हमला था। इसके चलते 1975 में पूरे देश में हाहाकार मच गया था और दो साल तक इमरजेंसी लागू थी। इस दौरान लोगों के सभी अधिकारियों को छीन लिया गया था। हम सभी संकल्प लेते हैं कि संविधान की रक्षा करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपने अभिभाषण में इतना बोलना था कि विपक्ष भड़क गया और हंगामा करने लगा। इससे पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जब अपने पहले संबोधन में आपातकाल का बुधवार को जिक्र किया था, तब भी विपक्ष ने हंगामा किया था। यही नहीं मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेताओं ने कहा था कि मोदी सरकार का बीते 10 सालों का शासन अघोषित आपातकाल ही था।

इसके अलावा राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आजकल लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं। इसे लांछित करने वाले आरोप लगाए जाते हैं। उनका इशारा शायद ईवीएम पर विपक्ष की ओर से सवाल उठाए जाने पर था। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि ईवीएम ने जनता की कसौटी पर खरा उतरकर दिखाया है। हमें पता है कि कैसे कुछ दशक पहले देश में वोटिंग के दौरान बैलेट पेपर लूट लिए जाते थे। इस तरह राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिए सरकार ने विपक्ष की ओर से संविधान के मुद्दे पर आईना दिखाने की कोशिश की है। लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार संविधान बदलना चाहती है।

उसके इन दावों का असर भी दिखा और कई जगहों पर अप्रत्याशित नतीजे आए और भाजपा की करारी हार हुई। माना जा रहा है कि विपक्ष के उस प्रचार की काट के लिए ही सरकार आपातकाल का जिक्र कर रही है। वह यह बताना चाहती है कि कैसे 1975 में आपातकाल लगाकर संविधान पर हमला किया गया था और तब कांग्रेस की देश में सरकार थी। गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी अपने संबोधन में आपातकाल का जिक्र किया था। यही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने भी संसद की शुरुआत में इसका जिक्र किया था।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker