महंगाई दर में कमी किसानो के लिए होगा फायदेमंद, RBI गवर्नर ने कही यह बात

बढ़ती महंगाई हमेशा से समस्या का कारण रहा है। चाहे वे आम उपभोक्ता हो या कोई किसान हो। इस समस्या से निपटने के प्रयास में सरकार लगातार लगी रहती है। फिलहाल मंहगाई में लगातार वृद्धि को रोकने पर नीतिगत फोकस के कारण किसानों के बीच असंतोष देखने को मिल रहा है, जिस पर बहस जारी है।

इसी बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि महंगाई कम होना किसानों के लिए भी फायदेमंद है। आइये जानते हैं कि इस विषय पर गवर्नर के क्या विचार है।

किसानों के हित में की बात 

बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि नीति निर्माता हमेशा कई उद्देश्यों के बीच संतुलन बनाने की दुविधा से जूझते हैं। उपभोक्ताओं की सेवा के लिए कृषि उपज की कीमतें कम रखना और किसानों की आय को कम करना भी ऐसी ही एक पहेली है।

उन्होंने कहा कि हमें यह भी याद रखना चाहिए कि किसान भी उपभोक्ता है। गेहूं के अलावा, वह अपने दैनिक जीवन के लिए कई अन्य चीजें खरीदता है। महंगाई कम होना किसानों के हित में भी है। चुनाव नतीजों के कुछ सप्ताह बाद आई ये टिप्पणियां इसलिए जरूरी हैं क्योंकि महाराष्ट्र जैसे कुछ इलाकों में भाजपा को झटका लगा है, जहां प्याज उत्पादक नाराज हैं।

संतुलित तरीके से आगे बढ़ने का विचार

इसका विश्लेषण सरकार के उपभोक्ता हितैषी रुख के परिणामस्वरूप किया गया है, जिसने किसानों की आय को दबाया है। दास ने कहा कि किसी भी सरकार को ‘संतुलित तरीके’ से आगे बढ़ना चाहिए और उपभोक्ताओं के साथ किसानों के हित को भी ध्यान में रखना चाहिए।

दास ने आगे कहा कि यह एक जटिल और पेचीदा काम है। इसके साथ ही उन्होंने विनिमय दर प्रबंधन पर आरबीआई की अपनी दुविधाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अगर मुख्य मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से घटकर 4 प्रतिशत हो जाती है, तो इससे 140 करोड़ भारतीयों में से प्रत्येक की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिसका बदले में क्रय शक्ति, खपत, विकास और रोजगार पर भी लाभकारी प्रभाव पड़ेगा।

हालांकि, गवर्नर ने कहा कि कुछ सफलताएं मिलने के बावजूद अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। बहुत सारी उपलब्धियां हासिल की गई हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है, खासकर आपूर्ति श्रृंखलाओं और मूल्य श्रृंखला ढांचे में सुधार के संबंध में। गवर्नर ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में यह क्षेत्र जलवायु के प्रति अधिक लचीला बन गया है।

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