बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है वट सावित्री व्रत, इस विधि से करें बरगद के पेड़ की पूजा
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार विवाहित महिला के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सभी विवाहित महिलाएं वट वृक्ष या बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करती हैं। साथ अखंड सुहाग की कामना करती हैं। कहा जाता है कि बरगद के पेड़ में भगवान विष्णु, शिव जी और भगवान ब्रह्मा का वास होता है।
वट सावित्री व्रत 2024 तिथि
इस बार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून की शाम 7 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 6 जून की शाम 6 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, वट सावित्री व्रत 6 जून, गुरुवार को रखा जाएगा। वट सावित्री व्रत के दिन पूजा का शुभ समय सुबह 11.52 बजे से दोपहर 12.48 बजे तक रहेगा।
वट सावित्री व्रत पूजा विधि
- वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष या बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करें।
- इसके बाद वट वृक्ष की 7 या 11 बार परिक्रमा करते हुए पेड़ के चारों ओर कच्चा सूत लपेटते रहें।
- यदि कच्चा सूत उपलब्ध न हो तो कलावा का भी प्रयोग किया जा सकता है।
- इसके बाद वट वृक्ष या बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
- वट सावित्री व्रत की कथा वट वृक्ष के नीचे ही बैठकर सुनें।
- इसके बाद भगवान से अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करें।