अवैध मकानों पर जमकर हुआ बुलडोजर एक्शन, देहरादून में 500 से ज्यादा अवैध कब्जों पर लाल निशान

एनजीटी के आदेश के बाद देहरादून में बस्तियों में अवैध कब्जों पर सोमवार से कार्रवाई शुरू हो गई है। चूना भट्टा इलाके से कार्रवाई शुरू की गई है। कई दुकानों को खाली करा दिया गया है और उनको तोड़ा जा रहा है। कई मकानों को भी खाली कराए जाने की कार्रवाई चल रही है।

देहरादून में 500 से ज्यादा अवैध कब्जों को  चिन्हित किया गया है, जिन्हें तोड़ा जाएगा। नगर निगम, एमडीडीए, प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई चल रही है। कुछ लोग यहां जुटे भी है, लेकिन विरोध जैसा नहीं है क्योंकि पूर्व में ही इन्हें नोटिस दिए गए हैं। फिर भी एहतियातन पुलिस फोर्स तैनात की गई है।

देहरादून की बस्तियों में अवैध मकानों पर आज सोमवार को बुलडोजर ऐक्शन होने वाला है। देहरादून नगर निगम, एमडीडीए और प्रशासन एनजीटी की सख्ती के बाद बस्तियों में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहा है।

लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि 11 मार्च 2016 से अब तक रिस्पना नदी के किनारे स्थित 27 बस्तियों में अवैध मकान कैसे बन गए? जिम्मेदार विभागों ने निर्माण शुरू करने के दौरान क्यों कार्रवाई नहीं की? सर्वे करने गई टीम ने रिस्पना के किनारे की 27 बस्तियों में पांच सौ से ज्यादा मकान चिन्हित किए हैं।

जबकि नगर निगम से अनुबंधित जीआईएस मैपिंग करने वाली कंपनी के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो दून शहर में हजारों की संख्या में ऐसे मकान बने हैं जिनके नक्शे पास नहीं हैं। हाउस टैक्स जमा नहीं हो रहा। रिस्पना नदी के किनारे कोई अवैध मकान न बने, इसके लिए एमडीडीए ने छह होमगार्ड के जवानों की तैनाती की है। सुपरवाइजर, जेई, एई फील्ड में रहते हैं।

नगर निगम भूमि अनुभाग के इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारी अवैध निर्माण पर रोक लगाने और अतिक्रमण के खिलाफ समय-समय पर अभियान चला रहे हैं। बावजूद इसके सरकारी जमीनों पर कच्चे-पक्के मकान बन रहे हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मकान बनने के बाद आसानी से बिजली-पानी के कनेक्शन मिल जाता है।

देहरादून की बस्तियों में अवैध मकानों पर एनजीटी के आदेश पर सोमवार से होने वाली कार्रवाई को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया है। कांग्रेस, सीटू, आप और सपा समेत अन्य संगठन बस्तियों में कार्रवाई के खिलाफ उतर आए हैं।

रविवार को इन दलों ने बैठक कर बस्तियों पर कार्रवाई का विरोध करने का फैसला किया। इधर नगर निगम, जिला प्रशासन और एमडीडीए ने अपने स्तर से रिस्पना किनारे स्थित बस्तियों में चिन्हित अवैध मकानों को ध्वस्त करने के लिए अभियान चलाने की तैयारी पूरी कर ली है।

सोमवार से पुलिस फोर्स की मौजूदगी में टीम कार्रवाई शुरू करेगी। निगम के मुताबिक बस्तियों में पांच सौ के आसपास मकान चिन्हित किए हैं। इनमें से करीब चार सौ मकान सरकार द्वारा एमडीडीए को रखरखाव के लिए सौंपी गई रिस्पना रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की भूमि, 89 नगर निगम और बारह नगर पालिका मसूरी की भूमि पर बने हैं।

पंद्रह लोगों ने निगम को 11 मार्च 2016 से पूर्व मकान बने होने के साक्ष्य उपलब्ध करवाए हैं। 74 मकान ऐसे हैं जो तय तिथि के बाद अवैध रूप से बने हैं। प्राधिकरण ने नोटिस जारी कर एक सप्ताह में स्वयं ध्वस्तीकरण का अल्टीमेटम दिया है। सूत्रों के मुताबिक कार्रवाई की शुरुआत डालनवाला क्षेत्र से हो सकती है।

नदी किनारे नियमों को ताक पर रखकर बने मकान, रिजॉर्ट आदि को ध्वस्त किया जाएगा। रविवार को संबंधित विभागों के अधिकारी कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने और अन्य व्यवस्थाएं करने में जुटे रहे।

बस्तियों में कार्रवाई के विरोध में उतरे संगठन

ट्रेड यूनियन के गठबंधनों, विपक्षी दलों और जन संगठनों की ओर से रविवार को समाजवादी पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता की गई। इसमें वक्ताओं ने सोमवार से बस्तियों में चिन्हित अवैध मकानों को ध्वस्त करने के लिए शुरू होने जा रहे अभियान का विरोध किया।

सीटू के राज्य सचिव लेखराज ने कहा कि सूची में कई लोगों के नाम गलत शामिल किए हैं। सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व में बस्तियों के नियमितीकरण का वादा किया गया था। लेकिन अब लोगों के मकान हटाए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ एसएन सचान ने आचार संहिता के दौरान कार्रवाई करने का विरोध किया। कार्रवाई के विरोध में तीस मई को आक्रोश रैली निकालने की बात कही।

अन्य वक्ताओं ने कहा कि सरकार अपने वादे के मुताबिक लोगों का पुनर्वास करे और बस्तियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए। इस दौरान चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, किसान सभा के राज्य महामंत्री गंगाधर नौटियाल, सीपीआईएम से अनंत आकाश, सर्वोदय मंडल से हरबीर सिंह कुशवाहा आदि मौजूद रहे।

बस्ती के लोगों को अपना पक्ष रखने का मौका देना चाहिए। यदि सूची में ऐसे लोगों के नाम शामिल हैं जिनके मकान मार्च 2016 से पहले बने हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। एमडीडीए, नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता की जाएगी, ताकि समाधान हो सके। 

सरकार को चाहिए कि इस मुद्दे का हल निकाले। उन विभागों के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए,जिन्होंने 2016 से अब तक बने मकानों पर कोई ध्यान नहीं दिया। यदि बस्तियों में लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तो आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। 

बस्तियों में एनजीटी के आदेश के मुताबिक कार्रवाई की जानी है। नगर निगम, जिला और पुलिस प्रशासन सोमवार से अभियान शुरू करेगा। संबंधित लोगों को नगर निगम, एमडीडीए की ओर से पूर्व में नोटिस जारी किए गए थे। 

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