मोहिनी एकादशी व्रत करने से सभी दुखों से मिलती है मुक्ति

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और पौराणिक मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मोहिनी एकादशी तिथि 18 मई, 2024 शनिवार को सुबह 11.22 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 19 मई, 2024 को दोपहर 1.50 बजे होगा। यहां पंडित चंद्रशेखर मलतारे मोहिनी एकादशी व्रत के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।

मोहिनी एकादशी का महत्व

पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश मिलने पर देव-असुर संग्राम हुआ था तो असुर देवताओं पर भारी पड़ने लगे थे। तब भगवान विष्णु को मोहिनी रूप धारण करके असुरों को अपने मोह के जाल में फंसाकर अमृत कलश देवताओं को पिला दिया था। इस तरह देवताओं को अमरत्व प्राप्त हो गया था। इस कारण ही मोहिनी एकादशी मनाई जाती है।

व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

  • मोहिनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
  • मोहिनी एकादशी का उपवास निर्जला रखना चाहिए। इस दिन पानी भी नहीं पीना चाहिए।
  • मोहिनी एकादशी पर सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए। साबुन से नहीं नहाना चाहिए।
  • इस तिथि को चावल से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • भगवान विष्णु के जब भोग लगाएं तो तुलसी की पत्तियां जरूर डालना चाहिए।
  • तामसिक चीजों मांस, शराब, लहसुन, प्याज का सेवन नहीं करें। इस दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
  • पूजा-पाठ और धर्म से जुड़े कार्य करने चाहिए। गरीबों का दान करना चाहिए।

मोहिनी एकादशी पूजन मंत्र

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।

यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।

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