हल्द्वानी के नर्सिंग होम पर 15 लाख जुर्माना, जानिए पूरा मामला…

छह महीने की बच्ची के इलाज में लापरवाही बरतने पर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हल्द्वानी के नर्सिंग होम को 15 लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में पीड़ित को देने के आदेश जारी किए हैं। मानसिक वेदना व्यय के रूप में 50 हजार और वाद व्यय के रूप में 20 हजार रुपये अलग से देने होंगे।

अस्पताल में उपचार के दौरान लापरवाही से कैनुला लगाने के कारण बच्ची के पंजे में गैंगरीन हो गया, जिस कारण चार अंगुलियां काटनी पड़ीं थीं। इससे वह अपाहिज हो गई। उपभोक्ता आयोग के शनिवार को जारी आदेशानुसार, अक्तूबर 2017 में दमवाढूंगा निवासी सुरेंद्र कुमार ने बुखार की शिकायत पर अपनी छह महीने की बेटी हर्षिका को हल्द्वानी के एसके नर्सिंग होम में भर्ती करवाया।

मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता एसके पांडे ने बताया कि हर्षिका के हाथ पर अस्पताल के कर्मियों ने कैनुला लगाई। कुछ घंटे बाद अचानक बच्ची के हाथ में सूजन शुरू हो गई। अस्पताल कर्मियों ने इसे मामूली इंफेक्शन बताया। बच्ची की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर वह उसे लेकर हल्द्वानी के दो अन्य निजी अस्पतालों में ले गए।

पर बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद वह बच्ची को लेकर एम्स दिल्ली गए। जहां पता चला कि कैनुला इंफेक्शन के कारण बच्ची के हाथ में गैंगरीन हो गया है। उसकी हथेली को काटना पड़ेगा। ऐसा न करने पर बच्ची की जान जा सकती है। इसके बाद वहां छह महीने की बच्ची की चार अंगुलियों को काटकर अलग कर दिया।

नर्सिंग होम में शुरू हुआ इंफेक्शन

अधिवक्ता एसके पांडे ने बताया कि पीड़ितपरिवार के लाखों रुपये इलाज पर खर्च हो गए। जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दाखिल किया गया था। उपभोक्ता आयोग ने दोनों पक्षों को सुना। उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने कहा कि सभी तथ्यों के बीच एक बात सत्य है कि बच्ची के हाथ पर इंफेक्शन नर्सिंग होम में उपचार के दौरान ही शुरू हुआ। नर्सिंग होम प्रबंधन मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने को कहकर अपनी जिम्मेदारी से बचा।

नहीं हुई लापरवाही: अस्पताल

एसके नर्सिंग होम की ओर से डॉ. देवाशीष गुप्ता ने अधिवक्ताओं के जरिए आयोग में अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि हर्षिका को नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया तो सुबह 11 बजे तक बच्ची ठीक थी। दोपहर एक बजे बच्ची के परिजनों ने दिक्कत की जानकारी दी। इसके बाद कैनुला हटाकर जांच की गई। कैनुला संक्रमित था, यह बात साबित नहीं होती। गैंगरीन से जुड़े कई शोधपत्र रखे। उन्होंने इलाज में लापरवाही से इनकार किया।

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