इस बार रेवती नक्षत्र में सर्वार्थ और अमृत सिद्धि योग में घोड़े पर सवार होकर आएगी माता
चैत्र नवरात्र का पर्व 9 से 17 अप्रैल तक मनाया जाएगा। इस बार मंगलकारी रेवती-अश्विनी नक्षत्र के साथ सर्वार्थ और अमृत सिद्धि योग में माता का आगमन होगा। इस दौरान कई मंगलकारी संयोग बनेंगे। शहर के बिजासन माता, अन्नपूर्णा, काली मंदिर, वैष्णवधाम, श्रीविद्याधाम में इस अवसर पर विभिन्न अनुष्ठान होंगे। ज्योतिर्विदों के अनुसार वर्ष में चार नवरात्र होती है। इनमें दो प्रकट और दो गुप्त नवरात्र हैं।
ज्योतिर्विद् पं. विनायक तिवारी के अनुसार चैत्र की शुक्ल प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11.50 से 9 अप्रैल रात 8.30 बजे तक रहेगी। इस अवसर पर बन रहे सर्वार्थ और अमृत सिद्ध योग को उपासना का अक्षय फल देने वाला बताया गया है। घट स्थापना सुबह 6.02 से लेकर 10.16 बजे तक और सुबह 11.57 से दोपहर 12.48 बजे तक करना विशेष लाभदायक है। इस वर्ष माता की सवारी घोड़ा है। वाहन के चयन का आधार किस दिन नवरात्र शुरू हो रही है, इस पर किया जाता है। इस बार नवरात्र मंगलवार से शुरू हो रही है।
ज्योतिर्विद् आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार वर्ष में चार नवरात्र आती हैं। इनमें चैत्र और आश्विन की नवरात्र प्रकट और माघ व आषाढ़ की नवरात्र गुप्त मानी गई है। 2024 में माघ की गुप्त नवरात्र 10 से 18 फरवरी थी। चैत्र नवरात्र 9 से 17 अप्रैल तक है। आषाढ़ की नवरात्र 6 से 15 जुलाई तक और आश्विन की नवरात्र 3 से 9 अक्टूबर तक रहेगी।
माता मंदिर में होगी घट स्थापना, होगा शृंगार
– बिजासन माता मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में घटस्थापना होगी। माता के नौ स्वरूप में शृंगार होगा। पुजारी अशोक वन गोस्वामी के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ और हवन पूजन होगा।
– अन्नपूर्णा मंदिर अन्नपूर्णा रोड पर नवरात्र में प्रतिदिन तीन बार शृंगार किया जाएगा। ट्रस्टी श्याम सिंघल के अनुसार विधि-विधान से घट स्थापना की जाएगी। प्रतिदिन विभिन्न अनुष्ठान होंगे।
– कालका माता मंदिर, खजराना में प्रतिदिन माता का 101 लीटर दूध से माता का प्रतीकात्मक अभिषेक किया जाएगा। पुजारी गुलशन अग्रवाल ने बताया कि इसके बाद दूध क्षेत्र के जरूरतमंद बच्चों के बीच वितरित किया जाएगा।
– ग्वाल भैरव मंदिर विजय नगर में प्रतिदिन माता का नवीन शृंगार होगा। पुजारी राहुल यादव के अनुसार प्रतिवर्ष की तरह यहां माता की उपासना होगी।
किस दिन किसका पूजन
– 9 अप्रैल प्रतिपदा के दिन घट स्थापना कर शैलपुत्री का पूजन।
– 10 अप्रैल को सिंधारा दूज पर ब्रह्मचारिणी पूजा।
– 11 अप्रैल को सौभाग्य तीज पर चंद्रघंटा पूजन।
– 12 अप्रैल को विनायक चतुर्थी के दिन कुष्मांडा पूजा।
– 13 अप्रैल को स्कंद षष्ठी पर स्कंद माता की पूजा।
– 14 अप्रैल को यमुना छठ के दिन कात्यायनी पूजा।
– 15 अप्रैल को सप्तमी पर कालरात्रि पूजा।
– 16 अप्रैल को दुर्गा अष्टमी पर महागौरी और संधि पूजा।
– 17 अप्रैल को राम नवमी पर नवरात्रि का पारण।