मेरठ-हापुड़ सीट पर होगी कांटे की टक्कर, सपा आज प्रत्याशी का नाम कर सकती है घोषित
भाजपा, सपा हो या बसपा सभी में टिकट की घोषणाएं हो रही हैं, लेकिन सभी मेरठ-हापुड़ सीट से किनारा करके टिकट बांट रहे हैं। मेरठ को लेकर सभी पार्टियों में असमंजस है। जानकार बताते हैं कि मेरठ लोकसभा क्षेत्र अब चुनौती वाला और कठिन सीटों में शामिल हो गया है क्योंकि यहां मुकाबला कांटे की टक्कर का होता है।
सभी राजनीतिक दलों को ऐसे नाम की तलाश है जो चूके नहीं मिशन संभव करने का दम रखता हो, इसलिए दावेदारों की फेहरिस्त में भी नाम तय कर पाने में शीर्ष ठिठक रहा है। भाजपा ने मुजफ्फरनगर, नोएडा समेत कई सीटों पर टिकट दे दिए लेकिन मेरठ को छोड़ दिया। उसके सहयोगी दल रालोद ने भी अपनी दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए।
मेरठ में छाया सन्नाटा
सपा ने भी कैराना समेत कई सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए, लेकिन मेरठ पर निर्णय नहीं कर पाई। बसपा ने वैसे तो आधिकारिक तौर पर प्रत्याशी नहीं घोषित किए हैं लेकिन बिजनौर, मुजफ्फरनगर समेत कुछ सीटों पर स्थिति स्पष्ट हो गई है सिर्फ औपचारिकता होनी है। हालांकि बसपा मेरठ सीट पर संभावित प्रत्याशी का नाम नहीं दे सकी है।
पीयूष गोयल रास्ते से हटे, स्थानीय दावेदारों के चेहरे खिले
भाजपा किसे टिकट देगी यह मेरठ ही नहीं आसपास सीटों पर भी चर्चा है। भाजपा के बारे में कोई कयास नहीं लगता फिर भी दावे का दौर तो चलता ही है। किसी के अनुसार राजेंद्र अग्रवाल ही टिकट पाएंगे तो कोई केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के मेरठ से लड़ने की संभावना जता रहा था। अब जब स्पष्ट हो गया है कि पीयूष गोयल महाराष्ट्र भेजे गए हैं तो यहां दावेदारों को राहत मिली है। कोई बाहर से आकर चुनाव लड़ेगा या पार्टी स्थानीय नेताओं में से ही किसी को चुनेगी यह तो पार्टी ही जाने।
स्थानीय नेताओं में दावेदारों की लंबी सूची है। कोई खुलकर सामने आ रहा है तो कोई चुपचाप संपर्क में है। महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज, विधायक अमित अग्रवाल, संजीव गोयल सिक्का, विकास अग्रवाल, विनीत अग्रवाल शारदा तो सामने आ चुके हैं। वहीं यह भी चर्चा है कि डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी, धर्मेंद्र भारद्वाज, सरोजिनी अग्रवाल, सोमेंद्र तोमर का भी नाम पहुंचाया गया है।
आज तय हो सकता सपा का टिकट, लखनऊ बुलाए दावेदार
सपा-कांग्रेस गठबंधन में मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट सपा के खाते में है। यहां पर आज प्रत्याशी का नाम घोषित हो सकता है। इसके लिए पार्टी ने फिर से दावेदारों और पदाधिकारियों को लखनऊ बुलाया है। तीन दिन पूर्व भी लखनऊ में बैठक हुई थी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पदाधिकारियों से राय ली थी। दावेदारों का इंटरव्यू लिया था। विभिन्न समीकरणों पर वार्ता के बाद गोपनीय रूप से लिखित राय भी ली गई थी ताकि ऐसे प्रत्याशी का चयन हो सके जो जीत दर्ज कर सके। दावेदारों में किठौर विधायक शाहिद मंजूर, सरधना विधायक अतुल प्रधान, शहर विधायक रफीक अंसारी, मुखिया गुर्जर, योगेश वर्मा, आकिल मुर्तजा, अब्बास, सन्नी गुप्ता, पूर्व सांसद हरीश पाल की पुत्रवधू नैना के नाम शामिल हैं।
हाथी को नहीं मिल रहा मजबूत साथी
सबसे पहले टिकट की घोषणा कर देने वाली बसपा इस बार पीछे है। जानकार बताते हैं कि बसपा को चुनाव में बेहतर स्थिति तक टिकने या जीतने वाले प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। मेरठ-हापुड़ सीट से 2019 में याकूब कुरैशी चुनाव लड़े थे। तब वह जीत तो नहीं सके थे लेकिन विजयी भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। चर्चा थी कि फिर से वह चुनावी मैदान में उतर सकते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से वह अलग-अलग समस्याओं का सामना कर रहे हैं। मीट प्लांट को लेकर कई मुकदमे हुए। जेल भी जाना पड़ा था।
दूसरी चर्चा है शाहिद अखलाक या फिर उनके भाई राशिद अखलाक की। शाहिद बसपा से सांसद रहे हैं और महापौर भी। शाहिद अखलाक ने दैनिक जागरण को बताया कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। वहीं याकूब कुरैशी के बारे भी यही बताया जा रहा है कि याकूब ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। इस सबके बीच अचानक चर्चा में बदर अली का नाम आया है।
बदर अली के नाम की है चर्चा
जानकार बताते हैं कि बदर अली का नाम लगभग तय है क्योंकि हाल ही में उनकी भेंट बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती से हुई थी। वह फिलहाल सपा में हैं लेकिन महापौर चुनाव में उन्होंने मुस्लिम प्रत्याशी की मांग करते हुए पार्टी के निर्णय को नकारा था। बदर पर कई मुकदमे हैं। वह सीएए के विरोध में निकाली गई यात्रा व पथराव मामले में जेल भी गए थे। उनका नाम इसलिए तेजी से चर्चा में आया कि उनकी मुसलमानों में ठीक ठाक पकड़ है। महापौर के चुनाव में यह भी सामने आया था कि उन्होंने सपा के बजाय एआईएमआईएम के प्रत्याशी को मजबूत स्थिति में पहुंचाने में मदद की थी।