अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण सफल, ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के लिए PM मोदी ने DRDO को दी बधाई

भारत ने आज मिशन दिव्यास्त्र का परीक्षण किया है। मिशन दिव्यास्त्र के सफल परीक्षण को लेकर PM मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर DRDO के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे DRDO वैज्ञानिकों पर गर्व है।”

‘भारत ने आज मिशन दिव्यास्त्र का किया परीक्षण’

भारत सरकार के सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि “भारत ने आज मिशन दिव्यास्त्र का परीक्षण किया गया है। मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का यह पहला उड़ान परीक्षण था। इस परीक्षण से यह सुनिश्चित होगा कि एक ही मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई युद्ध प्रमुखों को तैनात कर सकती है। परियोजना निदेशक एक महिला है और इसमें महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।” 

क्या है MIRV तकनीक

मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) उस तकनीक को कहते है जिसमें किसी मिसाइल में एक ही बार में एक से ज्यादा परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है। जिससे आप दुश्मन के अलग-अलग लक्ष्यों को भेदा जा सकता है।

क्या है अग्नि 5 मिसाइल की खासियत

अग्नि 5 मिसाइल अग्नि सीरीज की 5000 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता वाली सबसे लंबी दूरी की मिसाइल है। अग्नि 5 मिसाइल देश की दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है। यह मिसाइल चीन के सबसे उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक क्षमता के अंतर्गत ला सकती है। अग्नि 1 से 4 तक के मिसाइलों की मारक क्षमता 700 किमी से 3,500 किमी तक है और इन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है। भारत पृथ्वी की वायुमंडलीय सीमा के अंदर और बाहर शत्रुतापूर्ण बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की क्षमता विकसित कर रहा है।

मिशन दिव्यास्त्र के साथ भारत को मिलेगी नई पहचान

मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी (MIRV) क्षमता है। यह प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स प्रणालियों और उच्च सटीकता सेंसर पैकेजों से सुसज्जित है, जो यह सुनिश्चित करती है कि पुन: प्रवेश करने वाले वाहन वांछित सटीकता के भीतर लक्ष्य बिंदुओं तक पहुंचें। यह क्षमता भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति की प्रतीक है।

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