2024 में महंगाई में और कमी आने की उम्मीद, महंगाई दर को 4% लाने का रखा लक्ष्य: RBI गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली एमपीसी बैठक हर दो महीने में होती है। इस बैठक में आर्थिक विकास और महंगाई को कंट्रोल करने के लिए फैसले लिये जाते हैं। आज आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास में चालू वित्त वर्ष की आखिरी एमपीसी बैठक का फैसला सुनाया है।
इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर है। आरबीआई ने आगामी वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान लगाया है।
आगामी वित्त वर्ष में कितना रहेगा महंगाई दर
आरबीआई ने अनुमान जताया कि अगर मानसून सामान्य रहा तो अगले वित्तीय वर्ष में महंगाई दर 2023-24 के 5.4 प्रतिशत की तुलना में 4.5 प्रतिशत कम रहेगी।
केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर 4 प्रतिशत पर बनी रहे, जिसमें दोनों तरफ 2 प्रतिशत का मार्जिन हो।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधि अच्छी चल रही है और उम्मीद है कि निवेश की मांग में तेजी होगी।
एमपीसी की घोषणा करते हुए कहा उन्होंने कहा कि भूराजनीतिक घटनाएं और सप्लाई चेन पर का प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों और कमोडिटी की कीमतों में अस्थिरता की वजह से महंगाई को बढ़ा सकता है।
सब्जियों की कीमतों में सामान्य मौसमी सुधार जारी है। महंगाई दर को लेकर शक्तिकांत दास ने कहा कि अगले साल सामान्य मानसून मानते हुए, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सीपीआई महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें पहली तिमाही 5.0 फीसदी, दूसरी तिमाही 4.0 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.7 फीसदी रह सकती है।
इस बात पर जोर देते हुए कि अवस्फीति का मार्ग कायम रखने की जरूरत है, दास ने कहा कि एमपीसी ने पॉलिसी रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है।
सीपीआई मुद्रास्फीति अगले दो महीनों में क्रमिक रूप से बढ़कर दिसंबर तक 5.7 प्रतिशत हो गई। वहीं, अक्टूबर 2023 में सीपीआई 4.9 प्रतिशत के निचले स्तर पर है।
खाद्य मुद्रास्फीति, मुख्य रूप से साल-दर-साल सब्जी की कीमतों में वृद्धि, ने हेडलाइन मुद्रास्फीति में वृद्धि को प्रेरित किया। यहां तक कि ईंधन में अपस्फीति भी गहरी हो गई। दिसंबर में मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति) घटकर चार साल के निचले स्तर 3.8 प्रतिशत पर आ गई।