जाकिर हुसैन के गाने पश्तो के लिए बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉर्मेंस का मिला अवॉर्ड, जानिए इसका मतलब…

66वें ग्रैमी अवॉर्ड्स में इस बार भारतीय संगीतकारों का बोलबाला रहा, जिन्होंने कई कैटेगरीज में ग्रैमी अवॉर्ड्स अपने नाम किये। इनमें लीजेंड्री तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन और गायक-संगीतकार शंकर महादेवन शामिल हैं। 

ग्रैमी अवॉर्ड्स 2024 में जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) ने एक साथ तीन-तीन अवॉर्ड अपने नाम किए। जाकिर को अपने गाने पश्तो (Pashto) के लिए बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉर्मेंस का पुरस्कार मिला। इस खूबसूरत गाने को जाकिर ने बेला फ्लेक और एडगर मेयर के साथ मिलकर बनाया है। क्या आप जानते हैं कि पश्तो का क्या मतलब है और यह गाना कैसे बना? चलिए आपको इस बारे में बताते हैं…

क्या है पश्तो का मतलब

गाने का टाइटल पश्तो भाषा के नाम पर रखा गया है, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान से लेकर ईरान तक बोली जाती है। यह पठान समुदाय की मुख्य भाषा है। हालांकि, जाकिर हुसैन के गाने में ‘पश्तो’ का मतलब किसी भाषा से नहीं बल्कि ताल से है। पश्तो में किसी आवाज की जरूरत नहीं होती है। यह बिना किसी आवाज सिर्फ ताल और म्यूजिक के साथ बनाई जा सकती है।

सिर्फ धुन पर टिका है पश्तो गाना

बेला फ्लेक और जाकिर हुसैन की ‘पश्तो’ पिछले साल मई में रिलीज की गई थी। इस गाने की खास बात है कि यह सिर्फ धुन पर टिकी है। बैंजो वादक बेला फ्लेक, वायलिन प्लेयर एडगर मेयर, तबला वादक जाकिर हुसैन और बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने आवाज के बिना सिर्फ धुन पर इतना सुकून भरा ‘पश्तो’ गाना बनाया। यह गाना आपको रिलैक्स करने का काम करेगा। इस गाने का निर्माण बेला फ्लेक ने किया है। 

पश्तो ने पीएम मोदी के गाने को पछाड़ा

बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉर्मेंस कैटेगरी में पश्तो के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लिखा गाना ‘एबन्डेंस इन मिलेट्स’ (Abundance in Millets) भी नॉमिनेटेड था। इस गाने को भारतीय-अमेरिकी सिंगर फालू और गौरव शाह ने कम्पोज किया। हालांकि, एबन्डेंस इन मिलेट्स को जीत नहीं मिली।। पश्तो ने शैडो फॉर्सेस, अलोन, फील, एबेंडेंस इन मिलेट्स और टैडो कलर्स को हराकर ग्रैमी का खिताब अपने नाम किया था। 

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