टाइप-1 या टाइप-2 कौन सी डायबिटीज है अधिक खतरनाक….

डायबिटीज की बीमारी दुनिया भर में तेजी से फैल रही है और अब ये गंभीर समस्या बनती जा रही है. आने वाले समय में इसके मामले और भी ज्यादा बढ़ने की उम्मीद हैं. डायबिटीज को मुख्यत: चार प्रकारों में बांटा जाता है, प्रीडायबिटीज, टाइप-1 डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज.

लेकिन लोगों में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा रहता है. लेकिन इन दोनों में जयादा खतरनाक टाइप कौन सी है, चलिए जानते हैं एक्सपर्ट्स से.

टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में फर्क क्या?

पहले ये जानना जरूरी है कि इन दोनों में मुख्य फर्क क्या है. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड एस. एस. के. हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के एच.ओ. डी डॉ. एल. एच. घोटेकर कहते हैं कि टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो अचानक से विकसित होती है और आनुवांशिक रूप से इसका खतरा ज्यादा रहता है. ये अधिकतर बचपन में ही विकसित हो जाती है, क्योंकि टाइप-1 में बचपन से ही शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है. जिसकी वजह से ये बीमारी विकसित होती है. टाइप-1 का खतरा, जिन लोगों के माता-पिता या भाई-बहन को टाइप-1 डायबिटीज है, उनमें विकसित होने का खतरा ज्यादा रहता है.

वहीं टाइप-2 डायबिटीज अक्सर समय के साथ विकसित होती है, जिसमें हमारा खराब लाइफस्टाइल, गलत खाने-पीने की आदत, मोटापा और फिजिकल एक्टिविटी की कमी हमें इस बीमारी के करीब लाती है, आपको किसी भी उम्र में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा हो सकता है.

दोनों टाइप में लक्षण

टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में अक्सर एक जैसे ही लक्षण देखे जाते हैं. जिनमें-

– बार-बार पेशाब आना

– अत्याधिक प्यास लगना

– अत्याधिक भूख लगना शामिल हैं.

डायबिटीज बढ़ने के साथ आंखों की समस्या बढ़ना, धुंधला दिखाई देना, किसी तरह के घाव का जल्दी ठीक न होना और किसी चीज से ज्यादा इंफेक्टिड होना जैसे लक्षण शामिल हैं.

दोनों में कौन सा प्रकार है ज्यादा खतरनाक ?

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड एस. एस. के. हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के एच.ओ. डी डॉ. एल. एच. घोटेकर कहते हैं कि हालांकि दोनों ही प्रकारों में एक समान परेशानियां देखने को मिलती हैं, लेकिन टाइप-1 में शरीर का इंसुलिन न बन पाना एक गंभीर समस्या होती है, जिसके लिए पूरी जिंदगी टाइप-1 मरीज को इंसुलिन शॉट्स की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन लाइफस्टाइल और अपने खाने पीने की आदतों में बदलाव करके टाइप-2 डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है. इसलिए टाइप-2 के मुकाबले टाइप-1 डायबिटीज ज्यादा खतरनाक अवस्था है, जिसे ठीक करना पूरी तरह से संभव नहीं है.

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