वेदिका ठाकुर हत्याकांड में भाजपा नेता प्रियांश विश्वकर्मा की जमानत याचिका खारिज

मधयप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने बहुचर्चित वेदिका ठाकुर हत्याकांड मामले में आरोपी भाजपा नेता प्रियांश विश्वकर्मा की जमानत याचिका न्यायालय ने खारिज कर दी है और जांच में लापरवाही करने वाले अधिकारियों और अस्पतालों पर कार्रवाई के लिए जबलपुर आईजी को निर्देशित किया है कि इस केस से जुड़े पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। गौरतलब है कि 16 जून को  भाजपा नेता ने अपने दफ़्तर में युवती को गोली मारी थी और 11 दिनों तक अस्पताल में हुए इलाज के बाद युवती ने दम तोड़ दिया था। गोली लगने के 7 घंटे तक आरोपी युवती को अपनी कार में घुमाता रहा ओर अलग अलग अस्पतालों में ले जाकर बिना पुलिस को सूचना दिये इलाज करा रहा था।

जबलपुर जिले में बहुचर्चित वेदिका हत्याकांड को लेकर शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायाधीश विशाल धगत की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए जबलपुर के गंगानगर निवासी भाजपा नेता प्रियांश की जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी की ओर से अधिवक्ता अनिल खरे ने हाईकोर्ट के सामने दलील दी की प्रियांश का इरादा वेदिका की हत्या करने का नहीं था। प्रियांश स्वयं घटना के बाद घायल वेदिका का इलाज कराने उसे अस्पताल ले गया, और उसके परिजनों को सूचना दी। वेदिका ने मरने से पहले अपने बयान में कहा था कि जिस बंदूक से उस पर गोली चली वह खराब थी। प्रियांश के द्वारा उस बंदूक को लोड करते समय मिसफायर हुआ और गोली वेदिका को लग गई। प्रियांश के वकील ने कोर्ट से भी यह भी कहा कि उसका 

वेदिका की तरफ से हाईकोर्ट में पैरवी कर रहें वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने बताया कि वेदिका ने अपने बयान पर यह भी बताया था कि प्रियांश ने ही बंदूक में कारतूस डाले थे, और फिर फायर किया था। घटनास्थल भाजपा नेता प्रियांश का कार्यालय ही है, जहां चार कारतूस भी मिलें घटना के बाद वेदिका को इलाज के लिए कई जगह घुमाया गया। इतना ही नहीं मामले को दबाने के लिए भी कोशिश की गई।मौके पर मौजूद अभिषेक घरिया ने अपनी गवाही में कहा है कि घटना के पहले दोनों की बीच विवाद हुआ था ।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि बहुत दुख की बात है कि एक लड़की जिंदगी और मौत की बीच जूझती रही, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में 24 घंटे लगा दिए। जबकि पुलिस का कर्तव्य होता है कि पीडिता की हालत को देखते हुए तुरंत शिकायत दर्ज की जाए। ओर उन अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाही की जाए जहां पर इलाज के लिए वेदिका को रखा गया था। अगर समय पर खबर दी जाती तो आज वेदिका जिंदा होती।

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