उत्तराखंड में पहाड़ों पर तैनात बॉन्ड वाले डॉक्टरों का होगा सत्यापन, स्वास्थ्य मंत्री ने दिए खास निर्देश
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात बॉन्ड वाले डॉक्टरों का सत्यापन होगा। कई डॉक्टरों के अस्पताल में उपलब्ध न होने की शिकायतों पर इसके निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में खाली चल रहे अस्पतालों को भरने के लिए बॉन्ड के तहत डॉक्टरों की तैनाती की, लेकिन तैनाती के बाद कुछ डॉक्टरों के बीच-बीच में गायब रहने की शिकायतें मिल रही हैं। इसे देखते हुए सभी सीएमओ को डॉक्टरों के सत्यापन और औचक निरीक्षण के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य में इस समय 800 के करीब डॉक्टरों को बॉन्ड के तहत तैनाती दी गई है, लेकिन कई दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टर जाने से बच रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सभी सीएमओ को इस मामले में सख्ती से पेश आने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में तैनात डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की भी निगरानी की जा रही है। सभी सीएमओ को सत्यापन के भी निर्देश दिए गए हैं। आम लोगों की जरूरत को देखते हुए पहाड़ के सभी अस्पतालों में डॉक्टर तैनात किए गए हैं। ऐसे में लोगों को लाभ मिले यह सुनिश्चित करने को कहा गया है।
पहाड़ पर पर्याप्त डॉक्टर, मैदान में पद खाली
उत्तराखंड में वर्षों से डॉक्टरविहीन रहे पर्वतीय जिलों के अस्पतालों में अब पर्याप्त चिकित्सक हैं। इसके विपरीत सुगम माने जाने वाले मैदानी जिलों में डॉक्टरों के 400 से ज्यादा पद खाली चल रहे हैं। उत्तराखंड में बॉन्ड की व्यवस्था के चलते पैदा हुई इस विसंगति को देखते हुए अब मैदानी जिलों में डॉक्टरों की तैनाती के लिए विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है।
उत्तराखंड में डॉक्टरों के करीब 2900 पद हैं। इनमें से पर्वतीय जिलों के लिए स्वीकृत अधिकांश पद भर चुके हैं, मैदानी जिलों में डॉक्टरों के करीब चार सौ पद खाली हैं। दरअसल, डॉक्टरों की कमी को दूर करने को सरकार ने बॉन्ड व्यवस्था लागू की थी। इसके तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में कम फीस पर पढ़ाई के बाद एमबीबीएस डॉक्टरों को पहाड़ पर तैनाती दी जाती है। इस व्यवस्था से पहाड़ के अस्पतालों में स्वीकृत तकरीबन सभी पद भर चुके हैं पर बॉन्ड के डॉक्टरों की तैनाती मैदानी क्षेत्र में नहीं होने की शर्त के चलते वहां डॉक्टरों का संकट हो रहा है। स्वास्थ्य महकमे ने चार मैदानी जिलों में डॉक्टरों के 400 खाली पद चिह्नित किए हैं। जिन पर अब जल्द भर्ती शुरू की जा रही है।
बॉन्ड व्यवस्था में बदलाव की जरूरत
बॉन्ड की व्यवस्था के तहत नए डॉक्टरों को पांच या तीन साल के लिए पहाड़ी क्षेत्र में तैनात किया जाता है। हालांकि, बड़ी संख्या में डॉक्टर उन स्थानों पर स्वेच्छा से काम नहीं कर रहे। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में बॉन्ड की अवधि कम करने की जरूरत है। साथ ही बॉन्ड के तहत काम कर चुके डॉक्टरों को मैदानी अस्पतालों में भी तैनाती दी जा सकती है।
-डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री, ”बॉन्ड की व्यवस्था की वजह से पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों के डॉक्टरों के सभी पद भर गए हैं। मैदान में 400 पद खाली हैं, इसके चलते 400 डॉक्टरों को संविदा के आधार पर तैनात करने का निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य महानिदेशालय को इन पदों को भरने के लिए दिसंबर से ही काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।”