बंदूक की नोक पर मांग भरवाना शादी नहीं, पकड़ौआ विवाह पर पटना HC का फैसला
पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ विवाह के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने जबरन कराई जाने वाली शादियों को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि हथियार के दम पर या जबरदस्ती किसी की मांग भरवाना शादी नहीं होती। विवाह के लिए दोनों ही पक्षों की रजामंदी होना जरूरी है। अदालत ने यह फैसला 10 साल पुराने एक लखीसराय के एक मामले में दिया है। जहां आर्मी के एक जवान का अपहरण करके बंदूक की नोक पर उसकी जबरन शादी करवा दी गई थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक नवादा जिले के रहने वाले रविकांत का करीब 10 साल पहले पकड़ौआ विवाह हुआ था। रविकांत भारतीय सेना में जवान है। वह लखीसराय के एक मंदिर में दर्शन करने गया था। तभी लड़की वालों ने उसका अपहरण करके बंदूक की नोक पर जबरन शादी करवा दी। शादी की सारी रस्में पूरी ही होने वाली थीं कि रविकांत वहां से भाग निकला और जम्मू-कश्मीर ड्यूटी पर चला गया।
जब छुट्टी पर दोबारा घर आया तो उसने नवादा की फैमिली कोर्ट में लड़की के परिवार वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। साथ ही उसने शादी को रद्द करने की मांग की। निचली अदालत से जब याचिका खारिज हो गई तो रविकांत ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब पटना हाईकोर्ट ने रविकांत को राहत देते हुए उसकी जबरन हुई शादी को रद्द करने का फैसला सुनाया है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सिर्फ माथे पर सिंदूर लगा देना शादी नहीं होती है। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सप्तपदी की रस्म भी पूरी होनी चाहिए, जिसमें दूल्हा और दुल्हन सात फेरे लेते हैं। रविकांत के मामले में यह रस्म नहीं हुई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के लिए दोनों पक्षों की सहमति होना भी आवश्यक है।