देवउठनी एकादशी पर ऐसे करें तुलसी पूजन, घर आएंगी सुख समृद्धि

हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी का खास महत्व है. इस वर्ष देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को मनाई जाएगी. देवउठनी एकादशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है. देवउठनी एकादशी दिवाली के ग्यारवें दिन आने वाली एकादशी को बोला जाता है. इस दिन देशभर में शादियों का सीजन भी आरम्भ हो जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सृष्टि के संचालक प्रभु श्री विष्णु तथा समस्त देव चार महीने के पश्चात् विश्राम से जागते हैं, इसलिए इस दिन जब देव उठते हैं तो उसे देवउठनी एकादशी कहते हैं. वही इस दिन तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है. आइये आपको बताते है देवउठनी एकादशी तुलसी पूजन विधि:-

देवउठनी एकादशी तुलसी पूजन विधि:-
तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनाएं.
फिर उस पर तोरण सजाएं.
रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं.
शंख,चक्र और गाय के पैर बनाएं.
तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं.
तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजा करें.
दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें.
तुलसी का दशाक्षरी मंत्र- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा ।
घी का दीप और धूप दिखाएं.
सिंदूर, रोली, चंदन और नैवेद्य चढ़ाएं.
तुलसी को वस्त्र अंलकार से सुशोभित करें.
फिर लक्ष्मी अष्टोत्र या दामोदर अष्टोत्र पढ़ें.
तुलसी के चारों तरफ दीपदान करें.

तुलसी आरती:-

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।

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