मुंगेर में भी माता सीता ने किया था छठ, आज भी पवित्र चरण चिह्न यहां मौजूद

मुंगेर, लंका से विजय प्राप्त कर लौटने के समय माता सीता, भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के साथ मुंगेर में रुकी थीं। यहां माता सीता ने महापर्व छठ का अनुष्ठान किया था। इसका वर्णन वाल्मीकि व आनंद रामायण में भी है। माता सीता के आज भी पवित्र चरण चिह्न यहां मौजूद हैं।

अब यह स्थान सीता चरण (जाफर नगर) के नाम से जाना जाता है। यहां मंदिर का निर्माण 1974 में हुआ है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब भगवान राम वनवास के लिए निकले थे, तब वे मां सीता और लक्ष्मण के साथ मुंगेर स्थित मुद्गल ऋषि के आश्रम आए थे। उस वक्त माता सीता ने गंगा मां से वनवास काल सकुशल बीत जाने की प्रार्थना की थी।

माता सीता ने गंगा नदी में एक टीले पर छठ व्रत किया था

वनवास व लंका विजय के बाद भगवान राम व मां सीता फिर से मुद्गल ऋषि के आश्रम आए थे। वहां ऋषि ने माता सीता को सूर्य उपासना की सलाह दी थी। उन्हीं के कहने पर माता सीता ने गंगा नदी में एक टीले पर छठ व्रत किया था। माता सीता ने (वर्तमान) सीता कुंड में स्नान भी किया था।

वनवास के क्रम में माता सीता ने सीताकुंड में छठ पूजा की थी

वनवास के क्रम में माता सीता ने बांका के मंदार पर्वत पर स्थित सीताकुंड में भी छठ पूजा की थी।  मुंगेर गजेटियर में भी उल्लेख सीताचरण मंदिर गंगा के बीच एक शिलाखंड पर स्थित है। इस शिलाखंड पर माता सीता और भगवान राम के चरणों के निशान हैं। इसके अग्रभाग में चक्र का निशान है।

इसका उल्लेख 1926 में प्रकाशित मुंगेर गजेटियर में भी किया गया है। सीता चरण की दूरी कष्टहरनी घाट से नजदीक है। गजेटियर के अनुसार पत्थर पर दो चरणों के निशान हैं, जिसे माता सीता का चरण माना जाता है। यह पत्थर 250 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा है। यह स्थान पहले ऋषि मुद्गल के नाम पर मुद्गलपुर था। आगे चलकर यह मुंगेर के नाम से जाना जाने लगा। सीताकुंड को पर्यटन स्थल में शामिल करने के लिए डीपीआर तैयार कर पर्यटन विभाग को भेजा गया है।

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