रघुनाथपुर रेल हादसे की वजह का 22 दिन भी नहीं चला पता, इतने लोगों से हुई पूछताछ

रघुनाथपुर रेल हादसा में नॉर्थ ईस्ट ट्रेन हादसे के 22 दिनों के बाद भी घटना का कारण का पता नहीं चल पाया है। जिसमें जांच की जिम्मेदारी सीआरएस कोलकात्ता को सौंप गई थी। इसके बाद सीआरएस टीम ने लगातार तीन दिनों तक घटनास्थल से लेकर कई रेलकर्मी एवं गवाहों से पूछताछ कर चुकी है।
जानकारी के अनुसार सीआरएस ने करीब 140 लोगों से पूछताछ की है। इसके बावजूद प्रारंभिक रिपोर्ट को सार्वजनिक नतीजा नहीं हो पाने कारण अन्य ट्रेन हादसे भी इस जांच रिपोर्ट इसकी भी जांच फाइलों में दब जाने की आशंका जताई जा रही है।
रिपोर्ट से दुर्घटनाओं पर रोक लगाने में मिलती है मदद
रेल सूत्र बताते हैं कि इमानदारी से जांच होने और नतीजे सामने आने से ऐसी दुर्घटनाओं पर रोक लगाने की रणनीति तय करने में मदद मिलती है। बालेश्वर दुर्घटना के बाद भी कई रेल हादसे हुए हैं। हालांकि, जांच दल के एक अधिकारी ने नाम नहीं खोलने की शर्त पर पर बताया कि जांच रिपोर्ट जल्द रेल मंत्रालय को सौंप दी जाएगी।
बताते चलें कि दुर्घटना के बाद ही दैनिक जागरण ने आरा स्टेशन के पास ट्रैक की ग्राउंड पड़ताल की थी और रेल लाइन के रखरखाव भारी लापरवाही को उजागर किया था।
फिलहाल, दुर्घटना के बाद एहतियातन बक्सर के समीन वरुणा स्टेशन से लेकर रघुनाथपुर तक कॉशन पर ट्रेन चलाई जा रही है। कॉशन में एक्सप्रेस एवं पैसेंजर ट्रेनों की स्पीड लिमिट 30 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है।
अबतक किन लोगों से हो चुकी है पूछताछ
सीआरएस पूर्वी क्षेत्र के प्रमुख अनंत मधुकर चौधरी के नेतृत्व जांच के लिए आई टीम ने डीडीयू रेल मंड़ल से लेकर दानापुर रेल मंडल के प्रभारी जीएम, डीआरएम, आईओडब्ल्यू, पीडब्लूआई, लोको पायलेट, ट्रेन मैनेजर, स्टेशन मास्टर, ट्रैक मैन, गेट मैन, आईओडब्ल्यू, रेलवे के वरीय कई अधिकारी सहित स्थानीय लोगों से पूछताछ की थी।
जांच की प्रक्रिया में चश्मदीद, रेलवे कर्मचारी और मीडिया कवरेज को भी जरूरत के मुताबिक शामिल किया गया है। सीआरएस के एक अधिकारी नाम नही खोलने पर बताया कि घटना स्थल पर राहत कार्य को फौरन काम शुरू करना सबसे जरूरी होता है।
ऐसे में कई बार क्षतिग्रस्त डिब्बे, पटरी और अन्य चीजों को घटना स्थल से हटाना पड़ता है। इस तरह से घटना स्थल की तस्वीर काफी बदल जाती है और पूरी जानकारी इकट्ठा कर पाना आसान नहीं होता है।
उनका कहना था कि किसी हादसे की जांच रिपोर्ट और उस पर हुई कार्रवाई के बारे में जानने की कोशिश की जाए तो इसकी बहुत ही धुंधली जानकारी हमारे सामने होती है।