फूलों के उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बन रहा बागेश्वर, जानिए खेती का तरीका

बागेश्वर, उद्यान विभाग की हाल्टीकल्चर टेक्नोलॉजी मिशन योजना जिले के युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। लगभग तीन हेक्टेयर भूमि में गेंदा फूल की खेती हो रही है। प्रति काश्तकार वर्ष में लगभग केवल फूलों की खेती से डेढ़ से दो लाख रुपये की कमाने लगे हैं।

दीपावली पर्व पर उनकी अच्छी खासी आमदनी होती है। शादी और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए भी जिले में पर्याप्त मात्रा में फूल उपलब्ध हैं। पूर्व में हल्द्वानी, बरेली या रामनगर से फूल मंगाए जाते थे।

क्या कहते हैं पुष्प उत्पादक

मनकोट निवासी राजेश चौबे ने बीस नाली भूमि पर गेंदा फूल की खेती की है। उन्होंने दीपावली पर्व पर एक लाख से अधिक रुपये के फूल बेचते हैं। उनके काम से प्रभावित होकर उनके चचेरे भाई मनोज और भगवत चौबे ने भी फूलों की खेती शुरू कर दी है। दोनों 50 नाली भूमि पर फूल उगा रहे हैं।

ऐसे शुरू कर सकते हैं फूलों की खेती

  • योजना के तहत काश्तकारों को उद्यान विभाग प्रदर्शन के रूप में निश्शुल्क बीज उपलब्ध कराता है।
  • फूलों की खेती दो नाली भूमि से शुरू की जा सकती है।
  • फूलों की बिक्री के लिए इंटरनेट मीडिया माध्यम से मंडी में काश्तकारों की बात कराई जाती है।
  • बागेश्वर, गरुड़, काफलीगैर क्षेत्र की जलवायु गेंदा फूल के लिए बेहतर साबित हो रही है।
  • अन्य सब्जियों के साथ मेड़ पर भी गेंदा का उत्पादन किया जा सकता है और यह कीटनाशक भी है। सब्जियों को कीटों से बचाया जा सकता है।

खुले में होता है गेंदा फूल का उत्पादन

हॉर्टिकल्चर टेक्नालाजी मिशन के तहत गेंदा फूल का बीज वितरित किया गया। हाइब्रिड गेंदा फूल का उत्पादन बढ़ रहा है। जिसका समय-समय पर निरीक्षण भी किया गया। काश्तकारों की आय में वृद्धि हो रही है।

उद्यान अधिकारी ने कही ये बात

हाइब्रिड गेंदा फूल का उत्पादन बढ़ रहा है। काश्तकारों की आय में वृद्धि हो रही है। बागेश्वर, गरुड़, काफलीगैर, शामा क्षेत्र की जलवायु गेंदा फूल की खेती के लिए बेहतर साबित हो रही है। अन्य सब्जियों के साथ मेड़ पर भी गेंदा का उत्पादन किया जा सकता है और यह कीटनाशक भी है। -आरके सिंह, जिला उद्यान अधिकारी।

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