बैंक मैनेजर हत्‍याकांड में कलेक्‍ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्‍यक्ष और उनकी बेटी हुई गिरफ्तार, जानिए मामला

बैंक मैनेजर सचिन उपाध्‍याय हत्‍याकांड में कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिजेंद्र रावत और उनकी बेटी प्रियंका रावत को पुलिस ने रविवार को जेल भेज दिया। कड़ी सुरक्षा में पुलिस दोनों को दीवानी लेकर पहुंची थी। पुलिस के अनुसार प्रियंका ने अपने भाई कृष्णा के साथ मिलकर गला घोंटकर पति की हत्या की थी। बेटा और बेटी को बचाने के लिए बिजेंद्र रावत ने दिमाग चलाया। हत्या के साक्ष्य नष्ट कराए। मामले को उलझाने का प्रयास किया। घटना को खुदकुशी दिखाने की साजिश रची।

रामरघु एग्जॉटिका कालोनी (ताजगंज) निवासी सचिन उपाध्याय की मौत की खबर 12 अक्तूबर की शाम पुलिस को मिली थी। पुलिस को बताया गया था कि उन्होंने खुदकुशी कर ली है। 13 अक्तूबर को तीन डॉक्टरों के पैनल ने शव का पोस्टमार्टम किया। इसमें मामला हत्या का निकला। हत्या से पहले सचिन को जलाकर प्रताड़ित किया गया था। 18 अक्तूबर को हत्या का मुकदमा लिखा गया। ससुर बिजेंद्र रावत, साला कृष्णा रावत और पत्नी प्रियंका रावत को नामजद किया गया। साले को 20 अक्तूबर को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा था। बिजेंद्र रावत और प्रियंका रावत को पुलिस ने शनिवार को प्रयागराज से गिरफ्तार किया।

डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि पुलिस ने दोनों आरोपियों से अलग-अलग पूछताछ की। दोनों ने पहले ही तय कर रखा था कि किस सवाल का क्या जवाब देना है। ससुर बिजेंद्र रावत आखिर तक यह बोलते रहे कि सचिन ने खुदकुशी की थी। पैनल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर उनके पास कोई जवाब नहीं था। पुलिस ने प्रियंका को सवालों में उलझाया। फोरेंसिक टीम ने घर से कुछ साक्ष्य संकलित किए गए थे। उनमें वह कपड़ा भी शामिल था जिससे सचिन का गला घोंटा गया था। प्रियंका ने उसे पहचाना। सवालों में खुद को उलझता देख प्रियंका ने बीमार होने का बहाना बनाया। ऐसा व्यवहार किया जैसे उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। पुलिस ने उससे पूछा कि 11 अक्तूबर की रात उसने अपने घर पर फोन क्यों किया था। उसने बताया कि भाई को फोन करके बुलाया था। पति की तबियत ठीक नहीं थी।

इंस्पेक्टर ताजगंज देवेंद्र शंकर पांडेय ने बताया कि फिलहाल यह साफ नहीं हुआ है कि सचिन को किससे जलाया गया था। पुलिस यही मानकर चल रही है कि प्रियंका और कृष्णा ने मिलकर सचिन की हत्या की थी। हत्या के बाद शव को कमरे में छिपा दिया। बेटा व बेटी को फंसता देख बिजेंद्र रावत ने दिमाग चलाया। साक्ष्य नष्ट कराए। खुदकुशी की सूचना दिलवाई गई। पूरी कोशिश थी कि शव का पेास्टमार्टम नहीं हो। इसके लिए तरह-तरह की बातें बनाईं। पोस्टमार्टम नहीं होता तो हत्या वाली बात सामने ही नहीं आती।

इन धाराओं का बनाया आरोपित

बिजेंद्र रावत- पुलिस ने बिजेंद्र रावत को (120 बी व 201) आपराधिक षड्यंत्र और साक्ष्य नष्ट करने की धारा का आरोपित बनाया है।
प्रियंका रावत- प्रियंका रावत को पुलिस ने धारा 302 व 201 का मुख्य आरोपित बनाया है।

घर में क्लेश के थे कई कारण

सचिन उपाध्याय ने अपने भाई के नाम से पेट्रोल पंप का आवेदन किया था। पत्नी इस बात से नाराज थी।
जयपुर हाउस में कृष्णा रावत ने बैंक में बंधक एक कोठी खरीदी थी। सचिन ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी। चर्चा है कि कोठी को लेकर भी सचिन और कृष्णा में विवाद हुआ था।

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