हल्द्वानी में जमरानी बांध बहुउद्देश्यीय परियोजना को शामिल करने को मिली मंजूरी
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई) के तहत उत्तराखंड में हल्द्वानी स्थित जमरानी बांध बहुउद्देश्यीय परियोजना को शामिल करने की मंजूरी दी है। इससे नैनीताल, ऊधमसिंहनगर और यूपी के रामपुर, बरेली जैसे जिलों की 57 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का पानी मिलेगा इसके अलावा हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों को 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर पीने का पानी भी मिलेगा। यह प्रॉजेक्ट 48 साल से लटका हुआ था।
नैनीताल-ऊधमसिंह नगर जिले के भाबर क्षेत्र के साथ ही उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण जमरानी बांध परियोजना को 48 साल के बाद केंद्र सरकार से बजट की मंजूरी मिली है। अब अगले पांच साल के बाद इन क्षेत्रों को सिंचाई के साथ ही हल्द्वानी को पेयजल के लिए पानी मिलने की उम्मीद जगी है। जमरानी बांध परियोजना कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी के काठगोदाम क्षेत्र से दस किमी दूर गौला नदी के अपस्ट्रीम पर बनाया जाना है।
1976 में हुआ था शिलान्यास
हल्द्वानी में बढ़ती पेयजल की मांग और उत्तर प्रदेश के नजदीकी जिलों में सिंचाई संकट को दूर करने के लिए बांध निर्माण की मांग 60 के दशक में उठनी शुरू हुई। 1968 की गर्मियों में तराई भाबर के भ्रमण पर आए तात्कालिक केंद्रीय विद्युत मंत्री केएल राव से भी किसानों ने बांध निर्माण की मांग की थी। विशेषज्ञों के सर्वेक्षण के बाद 1975 में जमरानी बांध परियोजना को भारत सरकार ने मंजूरी दी। वहीं सन 1976 में स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री केसी पंत ने इसका शिलान्यास किया।
उत्तराखंड के साथ यूपी को भी फायदा
अब केंद्रीय कैबिनेट से बजट से मंजूरी मिलने के बाद 48 साल का इंतजार खत्म होने जा रहा है। योजना के अनुसार अगले पांच सालों में पेयजल के साथ ही सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा। यह बांध परियोजना उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए स्वावलंबन का आधार बनेगी। बांध से बनने वाली बिजली भी क्षेत्र के लोगों के लिए आर्थिक मजबूती का आधार बनेगी। कुल मिलाकर परियोजना उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए भी पेयजल और सिंचाई की समस्या के समाधान का माध्यम होगी।
लटकने से बढ़ गई लागत, 61 की जगह खर्च होंगे 2584 करोड़
जमरानी बांध परियोजना मंजूरी के बाद जल्द बजट की मंजूरी नहीं मिल सकी। ऐसे में 48 साल का समय बीत गया। जब योजना मंजूर हुई थी तो इसका बजट महज 61.25 करोड़ रुपये था, लेकिन अब बांध की लागत आज 2584.10 करोड़ रुपये पहुंच गई है। बांध परियोजना के लिए बजट मंजूर नहीं किए जाने के कारण हर साल बांध का बजट बढ़ता ही गया। अब जाकर केंद्रीय कैबिनेट ने बांध के लिए प्रधानमंत्री केंद्रीय कृषि सिंचाई परियोजना से बजट को मंजूरी दी है।