आजम खान ने आखिर बेटे अब्दुल्ला का क्यों बनवाया दो जन्म प्रमाण पत्र, पढ़ें पूरी खबर
आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन और बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में सात-सात साल की सजा सुना दी गई है। तीनों को सजा सुनाने के साथ ही जेल भी भेज दिया गया है। सवाल है कि आखिर क्यों दो जन्म प्रमाण पत्र बनाया गया। जब सबूत के तौर पर दोनों जन्म प्रमाण पत्र मौजूद हैं तो आजम और उनके परिवार को कोई राहत मिल सकती है। क्या जेल से छूटने की कोई गुंजाइश है? इसे लेकर लोग चर्चा कर रहे हैं।
आजम के बेटे अब्दुल्ला के पास दो जन्मप्रमाण पत्र का मामला सबसे पहले 2017 के विधानसभा उप चुनाव में सामने आया था। इस चुनाव में आजम ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को स्वार सीट से चुनाव लड़ाया। वह भी तब जब अब्दुल्ला की उम्र चुनाव लड़ने के लायक ही नहीं थी। अब्दुल्ला के नामांकन दाखिल करते ही आजम के सियासी विरोधियों ने घेराबंदी शुरू कर दी थी।
नामांकन के अगले ही दिन अब्दुल्ला की जन्मतिथि पर विवाद हो गया था। सियासी विरोधी सक्रिय हुए तो एक के बाद एक सच की कई परतें खुलती चली गईं। यह भी साफ होने लगा कि कैसे आजम खान ने झूठ की बुनियाद पर बेटे को सियासत की सीढ़ी चढ़ाने की कोशिश की।
दो जन्म प्रमाणपत्र और दो पासपोर्ट के साथ ही दो पैन कार्ड का मुद्दा गर्मा गया। भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए। उनके साथ ही नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने भी आरोप लगाया कि आजम खान और उनकी पत्नी तजीन फात्मा ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के दो-दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए।
पहला जन्म प्रमाणपत्र नगरपालिका परिषद रामपुर से बना। इसमें जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 और जन्म स्थान रामपुर दिखाया गया। इसी आधार पर पासपोर्ट बनवाया गया, यही जन्मतिथि दिखाई गई। इस जन्मतिथि के आधार पर अब्दुल्ला चुनाव के लिए निर्धारित उम्र सीमा से कम थे। दूसरा जन्मप्रमाण पत्र लखनऊ नगर निगम से बनवाया गया। इसमें जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 और जन्म स्थान लखनऊ बताया गया।
आजम ने किया था दावा, भूलवश लिख गई जन्म तिथि
आजम खान ने बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ जब दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया तो इस एफआईआर को निरस्त कराने के लिए आजम खान ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। तब उन्होंने हाईकोर्ट में क्रिमनल रिट दाखिल कर दावा किया था कि उन्होंने जन्म प्रमाण पत्र को लेकर कोई जालसाजी नहीं की, अब्दुल्ला आजम की जन्म तिथि भूलवश गलत दर्ज हुई। यह बात अलग है कि उनका यह तर्क भी काम नहीं आया।
आजम के जेल से बाहर आने के क्या है अब रास्ते
आजम खान खुद भी कानून के छात्र रहे हैं। उन्होंने सियासत के बीच वकालत का पेशा भी चुना। उनका चैंबर आज भी रामपुर कचहरी में है। यही कारण है कि वह कानून की हर बारीकी को अच्छे से जानते-समझते हैं। बेटे अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में अपने और परिवार को बचाने को उन्होंने सारे दावपेंच आजमाए लेकिन जेल जाना नहीं टाल सके। हालांकि कानूनी जानकारों का कहना है कि अभी आजम खान के पास अपील के सारे रास्ते खुले हैं। वह बेल एप्लीकेशन के साथ ही सेशन कोर्ट की शरण ले सकते हैं।
बता दें कि जिस जन्म प्रमाण पत्र के मामले में सजा हुई है, उसमें भी उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक प्रयास किया लेकिन राहत नहीं मिली। सेशन कोर्ट में भी रिवीजन दाखिल किया था लेकिन सेशन कोर्ट में भी लोअर कोर्ट के 11 अक्तूबर के आदेश को ही सुरक्षित रखा गया और आज सजा सुना दी गई।
क्या कहना है कानूनी जानकारों का
वरिष्ठ अधिवक्ता केवी माथुर के अनुसार आजम खां के पास एक बड़ा विकल्प है कि वह सेशन कोर्ट में अपील फाइल करें। अपील फाइल करने के साथ ही बेल एप्लीकेशन दे सकते है। इसके अलावा फाइन स्टेट की एप्लीकेशन दी जा सकती है। वरिष्ठ अधिवक्ता सतपाल सैनी का कहना है कि जो भी कोर्ट का फैसला आया है उसका सम्मान करना चाहिए। आजम खां के पास पास अपील में जाने का विकल्प है। फाइन के साथ ही बेल एप्लीकेशन दे सकते हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता पृथ्वीभान सिंह के अनुसार बुधवार को आए फैसले को लेकर आजम खान अपील कर सकते है। जिसमें जमानत की मांग कर सकते है। इनको सेंशन कोर्ट में अपील के साथ बेल और जुर्माने के लिए एप्लीकेशन फाइल करनी होंगी।
रामपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम लाल के अनुसार एमपीएमएलए कोर्ट से इनको सात साल की सजा सुनाई गई है। इनके पास एक ही विकल्प है कि यह सेशन कोर्ट में अपील कर सकते है। अपील के साथ ही जमानत की एप्लीकेशन डाल सकते है। यह कोर्ट का निर्णय होगा कि वह जमानत स्वीकार करें या नहीं। सेशन कोर्ट से असंतुष्ट होने पर हाई कोर्ट भी जाया जा सकता है।