गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं हमास आतंकी, जानिए कैसे शुरू हुआ युद्ध…

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो धर्मों (यहूदी और अरब मुसलमान) के आधार पर दो देशों में बांट दिया था। बड़ा हिस्सा जहां यहूदियों का निवास था, इजरायल को दे दिया गया, जबकि छोटा हिस्सा जहां अरब मुस्लिमों का निवास था, फिलीस्तीन को दे दिया गया। जेरुसलम को यूएन ने अपने अधीन रखा। इस विभाजन के बाद से ही दोनों के बीच संघर्ष जारी है। फिलिस्तीन और आस-पड़ोस के अरब देश इजरायल की स्वतंत्रता को मान्यता नहीं देते हैं। इसी वजह से इजरायल का फिलिस्तीन और अरब देशों से संघर्ष चलता रहा है।

1947 के बंटबारे में गाजा पट्टी फिलिस्तीन को दे दिया गया था लेकिन जून 1967 के युद्ध के बाद इजरायल ने फिर से गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया।  इससे कुछ साल पहले अरब देशों ने 1964 में इजिप्ट में बैठक की और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) बनाई। इसका उद्देश्य इजरायल से पुराने फिलिस्तीन को वापस पाना था। PLO फिलिस्तीनी आर्मी और राजनेताओं का प्रतिनिधित्व करता था। 1967 में अरब देशों ने फिलिस्तीन के साथ मिलकर इजरायल पर हमला बोल दिया लेकिन इजरायल अकेले सबको हराने में कामयाब रहा। छह दिनों के अंदर इजरायल ने अरब देशों को हराते हुए गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर फिर से कब्जा कर लिया। इसमें इजरायल ने इजिप्ट के भी एक बड़े हिस्से को अपने कब्जे में कर लिया लेकिन यूएन की दखल के बाद इजरायल ने उसे छोड़ दिया।

यासर अराफात की लोकप्रियता से हमास का उदय

इस घटना के करीब दो साल बाद बाद 1969 में यासर अराफात इसी PLO के हेड बने, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण से बड़ा धमाका किया था। जब यासर अराफात PLO के चेयरमैन बने तो अरब देशों ने फिलिस्तीन का साथ देने से अपने कदम पीछे खींच लिए। इसके बाद लड़ाई इजरायल और PLO के बीच होने लगी। इसके बाद दोनों के बीच कई बार जंग हुई। यासर अराफात को भी ये बात समझ में आ गई थी कि इजरायल से जंग जीतना मुश्किल है। इसके बाद पीएलओ ने दूसरे तरह के हमले करने शुरू कर दिए।

1968 से 1977 तक पीएलओ ने इजरायल के 29 प्लेन हाइजैक किए और इजरायल पर हमला बोला। इन सबसे पीएलओ को दुनियाभर में अटेंशन मिल रही थी और इजरायल परेशान हो रहा था। इसी के बाद यासर अराफात को संयुक्त राष्ट्र में भी बुलाया जाने लगा। 1974 में यासर ने सबसे पहले यूएन में भाषण दिया था, जिसकी खूब सराहना हुई थी। उन्होंने तब कहा था एक हाथ में जैतून का पौधा है और दूसरे हाथ में बंदूक..आपलोगों से अनुरोध है कि जैतून को बचा लीजिए।

ऐसे उभरा हमास

इधर, इजरायल पीएलओ और आसर याराफात की लोकप्रियता से जल-भुन रहा था। उसने 1980 में अराफात के विरोध में बनाए गए फिलिस्तीनियों के एक अलग संगठन हमास को समर्थन देना शुरू कर दिया। ऐसे दावे किए जाते रहे हैं कि इजरायली सरकार ने पीएलओ का मुकाबला करने के लिए शुरुआती दिनों में हमास को फंड भी उपलब्ध कराया था। बाद में चलकर हमास बड़ा संगठन बन गया।

इसने पीएलओ की धारणा के एकदम विपरीत इजरायल के अस्तित्व को ही नकारना शुरू कर दिया और इजरायल के कब्जे से फिलिस्तीन को आजाद कराने का बीड़ा उठा लिया।  हमास ने जेरुसलम के डोम ऑफ रॉक, गाजा और वेस्ट बैंक को फिलिस्तीनी क्षेत्र में मिलाने की घोषणा कर दी। इस बीच, 1993 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की दखल के बाद पीएलओ और इजरायल के बीच ओस्लो समझौता भी हुआ लेकिन दोनों ने उस समझौते को मानने से इनकार कर दिया।

इससे फिलिस्तीनियों का न सिर्फ इजरायल से बल्कि पीएलओ से भी विश्वास उठ गया। फिलिस्तीनियों को लगने लगा कि यासर अराफात टाइम पास कर रहे हैं। इसके बाद हमास की धमाकेदार एंट्री होती है। हमास ने सबसे पहले ओस्लो शांति समझौते को खारिज कर दिया और इजरायल पर गुरिल्ला तकनीक से हमला बोल दिया।  इनकी ताकत देख अरब देश खासकर कतर हमास को फंड उपलब्ध कराने लगा। तब हमास को एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन के रूप में पहचान मिलने लगी थी। हालाँकि, जब इजरायल-गाजा लड़ाई फिर से भड़की तो हमास को एक इस्लामी आतंकवादी समूह के रूप में बताया जाने लगा। पीएलओ जब भी शांति की बात करता तो फिलिस्तीनी लोग हमास का साथ देते। इससे पीएलओ कमजोर पड़ गया और हमास मजबूत होता चला गया। 

हमास आतंकी संगठन

यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अधिकांश पश्चिमी देशों ने हमास को एक आतंकवादी संगठन के रूप में वर्णित किया है। नॉर्वे और स्विट्जरलैंड इसके अपवाद रहे हैं। दोनों पूरी तरह से तटस्थ स्थिति अपनाते रहे हैं और उससे राजनयिक संबंध भी बनाए, जिसने 2007 में गाजा पट्टी पर शासन करना शुरू कर दिया।

2006 में, हमास ने गाजा के आम चुनावों में पूर्ण बहुमत हासिल किया। 2007 में, उसने हिंसक तख्तापलट कर तटीय क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। तब से, वेस्ट बैंक पर महमूद अब्बास के नेतृत्व में उदारवादी फतह पार्टी का नियंत्रण रहा है, जबकि गाजा हमास के नियंत्रण में है। हमास ने गाजा पट्टी के भीतर से इजरायल पर अक्सर हमले बोलता रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसे दावे किए जाते रहे हैं कि हमास को ईरान से भी समर्थन और फंड मिलता रहा है। उग्रवादी इस्लामी समूह हमास इजरायल के साथ शांति प्रक्रिया का विरोध करता रहा है और इजरायल के विनाश की बात करते रहा है। इसी कोशिश में हमास के आतंकी कई वर्षों से गाजा पट्टी क्षेत्र से इजरायल के आवासीय इलाकों में रॉकेट से हमले करते रहे हैं। 7 अक्टूबर को शुरू हुआ हमला अब तक का सबसे भीषण हमला बताया जा रहा है।

गाजा पट्टी में क्या स्थिति है?

गाजा पट्टी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। इजरायल और मिस्र से सटी भूमि सीमाओं के साथ-साथ इसकी समुद्री सीमा ने इसकी अर्थव्यवस्था को काफी हद तक अलग-थलग कर दिया है। गाजा में आबादी का बड़ा हिस्सा बेहद गरीबी में रहता है और विदेशों से मानवीय सहायता पर निर्भर है। हमास मुख्य रूप से मिस्र से हथियारों की तस्करी में भी शामिल रहा है। वह अक्सर इजरायली क्षेत्रों में आवासीय इलाकों पर रॉकेट दागता रहता है।

हमास का समर्थक कौन

कतर हमास का सबसे बड़ा समर्थक और विदेशी सहयोगी है। कतर हमास को फंड देता रहा है। कतर के अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी ने 2012 में फिलिस्तीन का दौरा किया था और हमास सरकार का समर्थन देने वाले पहले नेता बने थे। अब तक, संयुक्त अरब अमीरात ने हमास को 1.8 अरब डॉलर दिए हैं। हमास को तुर्की, लेबनान, मिस्र का भी समर्थन प्राप्त है। हमास को ईरानी ड्रोन भी मिलता रहा है।

ताजा हमले में भी ईरानी ड्रोन की मदद से ही हमास ने इजरायल पर हमला बोला है। इस बीच, इजरायल को उम्मीद है कि कतर अमेरिका की मध्यस्थता वाले अब्राहम समझौते में शामिल होगा और उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करेगा, जैसा कि कई अरब देश पहले ही कर चुके हैं।

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