गोरखपुर में सर्जन पर लापरवाही का लगा आरोप, जानिए पूरा मामला…
शहर के कूड़ाघाट के रहने वाले पहलवान राज्यवर्धन सिंह का शहर के एक सर्जन ने सीने (छाती) का आपरेशन किया। इसके बाद 38 टांके लगा दिए, जबकि पहले दो-तीन टांके लगने की ही बात कही गई थी। हद तो यह भी हुई कि ढाई घंटे चले आपरेशन के बाद एक तरफ स्टेप्लर से टांके लगा दिए तो दूसरी ओर धागे से सिल दिया। पहलवान की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पहलवान की मां रेनू सिंह ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत सीएमओ, जिला व पुलिस प्रशासन से की है। बुधवार को उन्होंने पत्रकारों से बातचीत कर अपनी पीड़ा साझा की।
सर्जन ने भी तहरीर देकर तीमारदार पर लगाया आरोप
वहीं, सर्जन डा. शशिकांत दीक्षित ने भी कैंट थाने में तहरीर देकर तीमारदार पर शुल्क न देने का आरोप लगाया है। सीएमओ डा. आशुतोष कुमार दूबे ने मेडिकल बोर्ड गठित कर दोनों पक्षों को बुलाया है। गुरुवार को इस मामले में फैसला हो सकता है। रेनू सिंह ने बताया कि उनके बेटे राज्यवर्धन को गायनेकोमेस्टिया (स्तन बढ़ जाने) की बीमारी थी। मोहद्दीपुर के टाइमनियर अस्पताल में उसका आपरेशन कराया गया।
सर्जन डा. शशिकांत दीक्षित ने बताया कि यह छोटा आपरेशन है। इसमें 20 से 25 मिनट लगेंगे। दो से तीन टांके लगाए जाएंगे, जबकि आपरेशन करीब ढाई घंटे चला। बेटे को 38 टांके लगे। एक तरफ स्टेप्लर से टांका लगाया तो दूसरी तरफ धागे से सिल दिया। बेटे की हालत खराब हुई तो उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती करा उपचार कराया गया, तब उसकी जान बची।
सर्जन ने कहा, आपरेशन में नहीं हुई कोई लापरवाही
तीमारदार के शिकायत करने के बाद सर्जन डा. शशिकांत ने भी कैंट थाने में तहरीर दे दी है। उनका कहना है कि सर्जरी में कोई लापरवाही नहीं हुई। उपचार का खर्च 52 हजार 300 रुपये हुआ था। दस हजार रुपये की छूट दी गई। उन्होंने सिर्फ 15 हजार रुपये ही जमा किए। अभी उन्हें 27 हजार 300 रुपये और देने हैं। इसी रकम को बचाने के लिए अनर्गल आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने शेष रकम दिलाने की मांग की है।