UPSC क्रैक करने के बाद भी खत्म नहीं होती परीक्षा, IAS बनने के लिए करनी पड़ती है ये कड़ी ट्रेनिंग

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को क्रैक करना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है। देश से हर साल लाखों अभ्यर्थी इस एग्जाम में शामिल होते हैं और कुछ चुनिंदा कैंडिडेट्स ही परीक्षा के विभिन्न चरणोंं में शामिल प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू में सफल होकर सेलेक्ट हो पाते हैं। हालांकि, एग्जाम में सेलेक्ट होने के बाद भी अभ्यर्थियों के इम्तिहान खत्म नहीं हो जाते है। आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अफसर बनने का ख्वाब संजोए इन अभ्यर्थियों को परीक्षा में सफल होने के लिए कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। कहां होती है यह ट्रेनिंग और कितने अवधि की होती है। आइए डालते हैं एक नजर।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों को पास करने के बाद उम्मीदवारों को उनकी रैंक के आधार पर कैडर अलॉट किया जाता है। वहीं, एक तय रैंक पाने वाले कैंडिडेट्स को आईएएस का कैडर दिया जाता है। इसके बाद, इन उम्मीदवारों को ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। इस दौरान, उन्हें इस पद से जुड़ी सभी बारकीयां समझाई जाती हैं, जिससे कार्यभार संभालने के बाद इन अफसरों को किसी तरह की कोई मुश्किल का सामना न करना पड़े।
मसूरी से होती है शुरुआत
आईएएस की ट्रेनिंग के लिए चयनित उम्मीदवारों को मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में पहुंचना होता है। यहां फाउंडेशन कोर्स कराया जाता है। इस कोर्स में बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल सिखाए जाते हैं। इस प्रशिक्षण में हिमालय ट्रैकिंग भी कराई जाती है, जो कि हर ट्रेनी के लिए जरूरी होती है। इसके अलावा, कई अन्य एक्टिविटीज भी कराई जाती हैं, जिससे अधिकारियों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ को मजबूत बनाया जा सके।
वहीं, इस संबंध में आईएएस अफसर टीना डाबी ने एक भी वीडियो के माध्यम से जानकारी दी थी।
प्रोफेशनल ट्रेनिंग
फाउंडेशन ट्रेनिंग के बाद IAS पद के लिए चयनित उम्मीदवारों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग में शामिल होना होता है। इस पीरियड में उन्हें एजुकेशन, हेल्थ, एनर्जी, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री, रूरल डेवेलपमेंट समेत अन्य फील्ड से जुड़ी जानकारी दी जाती है।
सीखनी होती है क्षेत्रीय भाषा
ट्रेनी अफसरों को प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय भाषा भी सीखनी होती है। इसके पीछे मकसद यह होता है कि, वे जब लोकल लोगों से बात करें तो उन्हें लोगों की भाषा समझने में मुश्किल न हो।