जब हम शिव सेना की विचारधारा को स्वीकार कर सकते हैं तो BJP के साथ जाने में क्या आपत्ति: प्रफुल्ल पटेल

मुंबई, एमईटी बांद्रा में बैठक के दौरान विधायकों को संबोधित करते हुए प्रफुल्ल पटेल ने महा विकास अघाड़ी गठबंधन बनाने के लिए राकांपा द्वारा शिवसेना को समर्थन देने का आह्वान किया। पटेल ने कहा, “जब हम शिवसेना की विचारधारा को स्वीकार कर सकते हैं तो बीजेपी के साथ जाने में क्या आपत्ति है? हम एक स्वतंत्र इकाई के रूप में इस गठबंधन में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा, ”महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर में भाजपा के साथ चले गए और वे अब संयुक्त विपक्ष का हिस्सा हैं।”

हाल ही में पटना में हुई विपक्ष की बैठक का जिक्र करते हुए प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ”मैं शरद पवार के साथ पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक में गया था और वहां का दृश्य देखकर मुझे हंसने का मन हुआ। वहां 17 विपक्षी दल थे, उनमें से 7 के पास लोकसभा में केवल 1 सांसद है और एक पार्टी ऐसी है जिसके  पास शून्य सांसद हैं। उनका दावा है कि वे बदलाव लाएंगे… हमने जो यह फैसला एनडीए में शामिल होने का लिया है वह देश और हमारी पार्टी के लिए है, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं।”

शरद पवार की बैठक में शामिल हुए दस विधायक

शरद पवार और अजित पवार दोनों ने बुधवार को एनसीपी विधायकों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। उप मुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा बुलाई गई बैठक में 53 में से 31 विधायक शामिल हुए। दूसरी ओर, एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बैठक में केवल दस विधायक ही शामिल हुए।

बता दें रविवार को, 63 वर्षीय अजित पवार ने 24 साल पहले अपने चाचा शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा में विभाजन का नेतृत्व किया। कई महीनों के सस्पेंस को खत्म करते हुए 63 वर्षीय नेता ने सातवीं बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। इस दौरान दिलीप वलसे पाटिल, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे समेत आठ अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली।

एक दिन बाद शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए पार्टी से निकाल दिया। जवाब में, पटेल ने राज्य राकांपा प्रमुख जयंत पाटिल को हटाने और सुनील तटकरे को राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की।

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