उत्तराखंड के 152 उद्योग-होटलों पर लग सकता है ताला, जानिए वजह…

उत्तराखंड के 106 उद्योगों और दून-मसूरी के 46 होटलों पर बंदी की तलवार लटक गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने इनको नोटिस भेजा है। ये सारे उद्योग बिना पर्यावरणीय मंजूरी के चल रहे हैं। जबकि होटल तय मानक के विपरीत अनजान स्रोतों से हर साल लाखों लीटर पानी का उपयोग कर रहे हैं। इसका कोई रिकार्ड नहीं है कि ये पानी आखिर कहां से आ रहा है।

नोटिस के बाद इनके खिलाफ सीलिंग या पचास लाख तक जुर्माने की कार्रवाई की तैयारी है। सभी होटलों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन के लिए सहमति लेनी पड़ती है। जिसमें पीसीबी के तय मानकों को पालन करना अनिवार्य होता है। लेकिन 106 विभिन्न उद्योग बिना एनओसी के चल रहे हैं।

इनको नोटिस देकर 15 दिन में जवाब मांगा गया है। इसके बाद उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद भी अगर उन्होंने एनओसी नहीं ली तो उनको सील कर दिया जाएगा। वहीं, होटलों को जल संस्थान से जितना पानी मिलता है उससे कहीं ज्यादा उनकी रोजाना की खपत है। 

ऐसे में उन्हें ग्राउंड वाटर या अन्य स्रोतों से पानी लेने के लिए अनुमति की जरूरत है, लेकिन ये बिना अनुमति के हर रोज लाखों लीटर पानी विभिन्न स्रोतों से ले रहे हैं। इसकी जानकारी भी नोटिस भेजकर मांगी गई है। क्योंकि ये पर्यावरण के लिए नुकसान दायक है। इसमें मसूरी के कुछ नामी होटल भी शामिल हैं

इन  पर पर्यावरणीय क्षति पूर्ति के तौर पर पचास-पचास लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। उद्योगों को लेनी होती है स्थापना और संचालन की सहमति: कोई भी उद्योग को लगाने के लिए पीसीबी से स्थापना और संचालन की सहमति लेनी होती है। स्थापना की सहमति तो एक बार लेनी होती है। जिसकी फीस भी एक बार जमा होनी होती है।

जबकि संचालन की सहमति एक बार लेकर हर साल इसे रिन्यू कराना होता है। हर साल इसके लिए फीस भी ली जाती है। ऐसे में उद्योग संचालन की सहमति लेने से कतराते हैं। अक्सर पीसीबी इन उद्योगों पर ही कार्रवाई करता है। पिछले कुछ सालों में एनजीटी भी इसे लेकर सख्त हुआ है। 

जल और वायु प्रदूषण का खतरा

उद्योगों से निकलने वाला पानी, धुआं या अन्य तरह के तरल या ठोस अपशिष्ट पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। ऐसे में पीसीबी के मानकों के अनुसार इनका निस्तारण करना होता है। लेकिन जिन उद्योगों ने पीसीबी से एनओसी नहीं ली है उनके अपशिष्ट सीधे ही पर्यावरण में छोड़े जा रहे हैं। क्योंकि उनकी मानिटरिंग नहीं हो पाती। ऐसे में इसका सबसे ज्यादा नुकसान आसपास के भूजल और वायु को होता है। जिसका सीधा असर पर्यावरण, जीव जंतुओं, खेती और आसपास के लोगों पर पड़ता है।

इन जगहों पर हैं उद्योग

जिन 106 उद्योग को नोटिस दिया गया है उनमें से अधिकतर हरिद्वार, दून, रुड़की, काशीपुर, रुद्रपुर, सितारगंज में स्थित हैं। ये सभी पर्यावरण के मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं। जिसकी मानिटरिंग नहीं हो पा रही।

पर्यावरणीय मानकों का पालन ना करने वाले 106 उद्योगों और 46 होटलों को नेाटिस भेजे गए हैं। उन पर  नियमानुसार पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा जो उसके बाद भी मानक पूरे नहीं करेंगे उनको सील कर दिया जाएगा। जल्द इस मामले में बड़ी कार्रवाई होगी।
सुशांत पटनायक, सदस्य सचिव पीसीबी 

 

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