वित्त वर्ष 24 में GDP 6.5 फीसदी रहने का अनुमान, जानिए किस तिमाही में कितनी रहेगी विकास दर

नई दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक ने सहायक घरेलू मांग स्थितियों के आधार पर कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।

आपको बता दें कि अप्रैल में ही आरबीआई ने 2023-24 के जीडीपी के विकास के अनुमान को 6.4 प्रतिशत के पूर्वानुमान को संशोधित कर 6.5 प्रतिशत कर दिया था।

घरेलू मांग की स्थिति विकास में सहायक- आरबीआई गवर्नर

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि घरेलू मांग की स्थिति विकास के लिए सहायक बनी हुई है और ग्रामीण क्षेत्रों में भी मांग पुनरुद्धार के रास्ते पर है।

किस तिमाही में कितनी जीडीपी रहने की उम्मीद?

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि देश का रियल जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 24 में 6.5 प्रतिशत पर ही रहने की संभावना है। तिमाही दर तिमाही का जिक्र करते हुए दास ने बताया कि वित्त वर्ष 24 के Q1 में जीडीपी 8 प्रतिशत तक रह सकती है।

Q2 में 6.5 प्रतिशत, Q3 में 6 प्रतिशत और Q4 में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। दास ने कहा, 2023 की दूसरी तिमाही में, वैश्विक अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में प्राप्त गति को अभी भी उच्च बनाए रख रही है। गवर्नर ने कहा कि ऐसा तब हुआ जब मध्यम मुद्रास्फीति, सख्त वित्तीय स्थितियों, बैंकिंग क्षेत्र के तनाव और लंबे समय तक भू-राजनीतिक संघर्षों जैसे फैक्टर मौजूद थे।

अनुमान से बेहतर था पिछले वित्त वर्ष का विकास दर

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि 2022-23 की चौथी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 6.1 प्रतिशत बढ़ी, जिससे सालाना विकास दर अनुमानित 7 प्रतिशत से बढ़कर 7.2 प्रतिशत रही।

शक्तिकांत दास ने कहा कि 2022-23 में रबी फसल के उच्च उत्पादन, अपेक्षित सामान्य मानसून, और सेवाओं में निरंतर उछाल से निजी खपत चालू वर्ष में समग्र आर्थिक गतिविधि का समर्थन करेगा।

निवेश गतिविधि को मिलेगा बढ़ावा- गवर्नर

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति 2023-24 के बयान को पढ़ते हुए कहा कि पूंजीगत व्यय पर सरकार का जोर, वस्तुओं की कीमतों में कमी और मजबूत लोन वृद्धि से निवेश गतिविधि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

हालांकि निवेश में जोखिम की बात करते हुए गवर्नर ने कहा कि कमजोर बाहरी मांग, भू-आर्थिक विखंडन, और भू-राजनीतिक तनाव निवेश में बाधा डाल सकते हैं।

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