15 साल से बीमारी की छुट्टी पर हर साल मिलते थे इतने लाख रुपये, फिर भी कंपनी के खिलाफ किया मुकदमा

आप अगर नौकरीपेशा हैं और आपसे कोई पूछे क‍ि बीमारी में कंपनी की तरफ से आपको हर साल क‍ितनी स‍िक लीव दी जाती है? यह सवाल सुनकर शायद आप सोच में पड़ गए हो लेक‍िन आपका सवाल शायद यही होगा 10, 20 या 30 छुट्टी. लेक‍िन द‍िग्‍गज आईटी कंपनी आईबीएम में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. आईबीएम (IBM) का एक कर्मचारी 15 साल से बीमारी की छुट्टी (Sick Leave) पर है. इतना ही नहीं कंपनी की तरफ से हर साल उसे 55 लाख रुपये का भुगतान सैलरी के रूप में क‍िया जा रहा है.

क्लिफोर्ड ने कंपनी के ख‍िलाफ मुकदमा क‍िया

15 साल से बीमारी की छुट्टी पर चल रहे आईबीएम (IBM) के कर्मचारी इयान क्लिफोर्ड ने कंपनी के ख‍िलाफ मुकदमा क‍िया है. इयान ने कंपनी पर सैलरी हाइक नहीं देने को लेकर अदालत में अपील दायर की है. उसका तर्क है क‍ि 54,028 पाउंड (करीब 55 लाख रुपये) का सालाना वेतन बढ़ती महंगाई के कारण समय के साथ-साथ कम पड़ जाएगा. हालांक‍ि रोजगार न्‍यायालय ने उसके दावे को खर‍िज कर द‍िया है. साथ ही कहा क‍ि उसका (इयान क्लिफोर्ड) जो लाभ म‍िल रहा है, वह बहुत बड़ा है.

IBM ने कंपनी को टेकओवर क‍िया

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार क्लिफर्ड ने साल 2000 में लोटस डेवलपमेंट (Lotus Development) के ल‍िये काम करना शुरू क‍िया. इस कंपनी को बाद में आईबीएम (IBM) ने टेकओवर कर ल‍िया. साल 2008 बीमारी की छुट्टी पर जाने के बाद इयान ने 2013 में दी एक श‍िकायत में कहा क‍ि उन्हें पिछले 5 साल से वेतन वृद्धि या लीव पे नहीं मिली है. आईबीएम ने मामले को निपटाने के प्रयास के तहत इयान को ड‍िसएब‍िल‍िटी (द‍िव्‍यांग) प्‍लान में रखा था. इसके तहत उन्हें 65 साल की आयु तक हर साल 54,028 पाउंड (करीब 55.34 लाख रुपये) की राशि के रूप में उनकी सहमत आय का 75 प्रतिशत की गारंटी दी.

1.5 मिलियन पाउंड से ज्‍यादा म‍िल चुके

सालाना 54,028 पाउंड के वेतन और 65 साल की आयु में र‍िटायरमेंट की प्‍लान‍िंग के तहत इयान को कुल 1.5 मिलियन पाउंड से ज्‍यादा रकम म‍िलेगी. फ‍िर भी क्लिफोर्ड ने दावा किया कि गैर द‍िव्‍यांग कर्मचारियों की तुलना में उनके साथ प्रतिकूल व्यवहार किया जा रहा है. उन्‍होंने महंगाई की वर्तमान दर के अनुसार वेतन वृद्धि करने की मांग की. उन्‍होंने यह भी क‍ि यदि वेतन को महंगाई के साथ समायोजित नहीं किया जाता तो उनके वेतन का मूल्‍य ‘मिट’ जाएगा.

30 साल में बाजार मूल्‍य आधा रह गया

मामले की सुनवाई करते हुए जज पॉल हाउसगो ने अपने फैसले में कहा कि अक्षमता योजना को काम करने में असमर्थ कर्मचारियों को सुरक्षा देने के ल‍िए बनाया गया था. जज हाउसगो ने इस पर जोर दिया कि अक्षम व्यक्तियों के लिए इसकी विशेष उपलब्धता पर विचार करते हुए योजना के लिए ‘और भी अधिक उदार’ नहीं होने के लिए यह भेदभाव नहीं था. उन्‍होंने हर सला 50,000 पाउंड से ज्‍यादा के म‍िलने वाले पर भी प्रकाश डाला और कहा क‍ि भले ही 30 साल में इसका बाजार मूल्‍य आधा रह गया हो, लेक‍िन यह एक अहम राश‍ि है.

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