भगवान शिव और माँ दुर्गा से मिला था खाटूश्याम को यह आशीर्वाद, जानिए…

सीकर। राजस्थान के सीकर जिले का एक कस्बा खाटूश्याम जी के मंदिर के लिए बेहद मशहूर है। बाबा खाटूश्याम का सम्बन्ध महाभारत काल से बताया जाता है। वहीं, यह भी कहां जाता है कि, खाटूश्याम जी के मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बताया गया है कि, खाटूश्याम मंदिर में घटोत्कच्छ के जेष्ठ पुत्र बर्बरीक के सर को पूजा जाता है वहीं, उनके धड़ को हरियाणा के हिसार जिले के छोटे से गांव में पूजा जाता है। द्वापर युग में शुरू हुए महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त किया था कि, कलियुग में वे श्री कृष्ण के नाम श्याम से विश्वविख्यात होंगे  भक्तों के लिए जागृत साबित होंगे। 

बर्बरीक, गदाधारी भीम के सुपौत्र और पराक्रमी घटोत्कच्छ के सुपुत्र है। कहा जाता है कि, उन्होंने युद्ध कला का प्रशिक्षण अपनी माता और श्री कृष्ण से लिया था।  साथ ही भगवान शिव की कड़ी तपस्या कर उन्हें प्रसन्न भी किया था। बर्बरीक की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें वरदान के रूप में 3 दिव्य बाण भेंट किये थे। महादेव से बाण प्राप्त करने के बाद वह तीन बाणधारी के नाम से प्रसिद्द हुए थे। वहीं, माता दुर्गा ने भी उनसे प्रसन्न हो कर उन्हें दिव्य धनुष भेंट किया था, इस धनुष की मदद से वे तीनों लोको में विजयी हो सकते थे। 

पांडवों और कौरवों के बीच चल रहा महाभारत का युद्ध अपरिहार्य हो गया, इसकी जानकारी बर्बरीक को मिली तो उन्हें लगा कि, पांडवो की हार हो रही है। जिसके चलते वे अपनी माता के पास गए और उनके युद्ध में हिस्सा लेने के लिए अनुमति ली। उनकी माता का भी यही मानना था की युद्ध में पांडवो की ही हार हो रही है तब, उन्होंने बर्बरीक को युद्ध में जाने की अनुमति देने के साथ निर्देश दिया की युद्ध भूमि में जो पक्ष हारता हुआ नज़र आएगा तुम उनके लिए युद्ध लड़ोगे। माता की अनुमति मिलते ही बर्बरीक अपने नीले घोड़े पर सवार होकर राणभूमि की और निकल पड़े। 

युद्धभूमि में पहुंचने से पहले ही श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का भेस धारण कर बर्बरीक का रास्ता रोक लिया और उनकी चेष्टा करते हुए कहा कि, इतने बड़े युद्ध में  3 बाण लेकर ही हिस्सा लोगे, इस पर बर्बरीक ने उत्तर देते हुए कहा कि, शत्रु को हारने के लिए मेरा एक बाण ही काफी है, एक बाण के सहारे पूरी शत्रु सेना का नाश हो जाएगा और यह बाण पुनः तूणीर में ही आ जाएगा और अगर में तीनो बाणों का इस्तेमाल करता हु तो पुरे ब्रम्हांड का नाश हो जाएगा। यह सुनकर श्री कृष्ण ने कहा कि, अगर ऐसा है तो इस बात का प्रमाण दो और पेड़ पर लगी साड़ी पत्तियों को भेद कर बताओ। भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा मानते हुए बर्बरीक ने तूणीर से एक बाण निकाला और भगवान का स्मरण करते हुए बाण को पेड़ की ओर छोड़ दिया। 

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