उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने की बताई योजना, सामना में कही ये बात

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव में जीत का प्लान बताया है। साथ ही ‘सामना’ में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के एक बयान का समर्थन किया गया है। नीतीश कुमार ने कहा था कि कांग्रेस को विपक्ष की एकता के लिए पहल करनी चाहिए। यह एकता सही तरीके से हुई तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में ‘100’ पर ही ‘ऑल आउट’ कर देंगे।

… तो 2024 का लोकसभा चुनाव देश का आखिरी चुनाव होगा

उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर सभी विपक्ष समय पर सतर्क नहीं हुए और एक साथ नहीं आए तो 2024 का लोकसभा चुनाव देश का आखिरी चुनाव साबित होगा। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार ने कहा था कि विपक्ष के गठबंधन चाहे जितने भी होते हों, लेकिन कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता संभव नहीं है। नीतीश कुमार ने सच कहा है।”

बाद में तय कर लेंगे पीएम उम्मीदवार

उद्धव ने आगे कहा कि 2024 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा, यह बाद में भी तय किया जा सकता है, लेकिन पहले एक टेबल पर बैठकर चर्चा होनी जरूरी है। इसके लिए कांग्रेस के पहल करने में कोई दिक्कत नहीं है। नीतीश कुमार का कहना है, “प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कांग्रेस को तय करने दो। कुछ लोग मेरे नाम की चर्चा करते हैं, लेकिन मेरी इच्छा नहीं है। ज्यादा से ज्यादा विपक्ष एक साथ आएं और रणनीति बनाई जाए, तभी फायदा होगा।” नीतीश के इस आह्वान पर अब कांग्रेस को आगे आना चाहिए।

राहुल गांधी की तारीफ

सामना में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तारीफ भी की गई है। उद्धव ने कहा कि राहुल गांधी का नेतृत्व ‘भारत जोड़ो’ यात्रा से मजबूत और परिपक्व हुआ है। उन्होंने पूरे देश में पैदल चलकर और उसके बाद संसद सत्र में हिंडनबर्ग व मोदी-अदाणी दोस्ती मामले पर जोरदार हमला बोलकर मोदी का वस्त्र हरण किया। मोदी जवाब नहीं दे पाए और भाषण के दौरान उनका गला सूख रहा था। बार-बार पानी पीना पड़ रहा था। इसका मतलब यह है कि अगर विपक्ष एकजुट हो जाए तो वर्ष 2024 में भाजपा को पानी पिलाना आसानी से संभव है।

चुनाव आयोग पर साधा निशाना

उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग पर निशाना भी साधा। सामना में लिखा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना को तोड़ा और बागी गुट को असली ‘शिवसेना’ ठहराकर उन्हें धनुष-बाण चिह्न ‘बेच’ दिया। पार्टी के अंदरूनी झगड़े में या तो चिह्न फ्रीज किया जाता है या फिर मूल पार्टी के पास ही रहने दिया जाता है। यहां तो स्पष्ट नजर आ रहा है बागियों ने उसे खरीद लिया। चुनावी प्रक्रिया संदेहास्पद हो गई है।

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