महाशिवरात्रि के दिन शोभा यात्रा की अनुमति नहीं मिलने से लोगों में नाराजगी, गांव में धारा 144 लागू

हरिद्वार जिले के डाडा जलालपुर गांव में प्रशासन ने महाशिवरात्रि के दिन शोभा यात्रा की अनुमति नहीं दी। इस क्रम में गांव में धारा 144 लागू होने के बीच भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। गांव में जगह-जगह पुलिस की टीम गश्त कर रही है।

शनिवार को ग्रामीण शोभायात्रा निकालने को लेकर एकत्रित हो गए। जिसके बाद पुलिस के हाथ पांव फूल गए। पुलिस ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण मौके पर धरना देकर बैठ गए।

पुलिस और ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ग्रामीणों को समझाने बुझाने का प्रयास करते रहे। वहीं भीड़ को देखते हुए रुड़की और आसपास के थानों से पुलिस बल को मौके पर भेजा गया है।

हनुमान जयंती की शोभायात्रा पर दो समुदाय के बीच हुआ था बवाल

डाडा जलालपुर गांव में महाशिवरात्रि के दिन ग्रामीणों ने शोभायात्रा निकालने के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी थी। लेकिन पिछले साल अप्रैल माह में हनुमान जयंती की शोभायात्रा पर दो समुदाय के बीच हुए बवाल और आगजनी को देखते हुए प्रशासन ने महाशिवरात्रि पर शोभा यात्रा की अनुमति नहीं दी थी। इसे लेकर शुक्रवार को ग्रामीण शोभा यात्रा निकालने पर अड़े हुए थे।

धार्मिक स्वतंत्रता के हनन करने का भी आरोप

समझाने के बाद भी जब ग्रामीण नहीं माने तो प्रशासन ने गांव में धारा 144 लगा दी। प्रशासन के सख्त रवैये को देख कुछ ग्रामीणों ने अपने घर के बाहर गांव से पलायन करने और मकान बेचने के पोस्टर लगा दिए थे। साथ ही प्रशासन पर धार्मिक स्वतंत्रता के हनन करने का भी आरोप लगाये थे।

शनिवार की सुबह से ही गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। गांव में जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा। गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा रहा। इक्का-दुक्का लोग ही घरों से बाहर निकले।

गांव में किसी भी जगह अधिक लोगों को एकत्रित होने की मनाही है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट आशीष मिश्रा ने बताया कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाए गए हैं। गांव में शांति का माहौल है।

हनुमान जयंती पर दो समुदायों के बीच बवाल हो गया था

बता दें कि पिछले साल अप्रैल में यहां हनुमान जयंती पर दो समुदायों के बीच बवाल हो गया था। गांव में आगजनी तक हो गई थी। इसे देखते हुए प्रशासन ने महाशिवरात्रि पर शोभायात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी।

जिसके बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गए और शिवरात्रि पर शोभायात्रा निकालने की बात कहने लगे। प्रशासन ने ग्रामीणों के साथ बैठक की और उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण नहीं माने।

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